वेदों को हिंदू धर्म ग्रंथ के प्राचीनतम धर्म ग्रंथों में से माना जाते है। जिनके बारे में अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में भी प्रश्न पूछे जाते हैं।(vedon ki sankhya kitni hai)
तो आइए जानते हैं, कि वेद कितने प्रकार के हैं और किस वेद में क्या-क्या हैं।
हिन्दू धर्म में वेदों की संख्या चार है।
जिनका नाम है
ऋग्वेद
यजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद
जिनमें से अथर्ववेद को सबसे प्राचीनतम वेद माना जाता है।
vedon ki sankhya kitni hai

हिन्दू धर्म में वेदों को सबसे प्राचीन पुस्तक माना जाता है। माना जाता है, कि इसे ईश्वर के बताए अनुसार ऋषि – मुनियों द्वारा लिखित रूप दिया गया।
सभी अलग-अलग वेदों में अलग-अलग प्रकार के ज्ञान की जानकारी. ऋग्वेद :-
ऋक यानि स्थिति और ज्ञान।
इस वेद के 10 मंडल यानि अध्याय हैं। जिनमे 1028 सुक्त हैं, जिनमें 11 हज़ार मन्त्र हैं। इस वेद की पांच शाखाएं हैं।
शाकल्प
वास्कल
अश्वलायन
शांखायन
मंडूकायन
ऋग्वेद में देवताओं की
ऋग्वेद में चिकित्सा से संबंधित विश्व के बारे में भी जानकारी दी गई है
वेदों की संख्या
जैसे:- जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा और चिकित्सा मानव चिकित्सा और हवन द्वारा की जाने वाली चिकित्सा।
ऋग्वेद में चिकित्सा के साथ-साथ औषधि सुख तो यानी दवाओं का विज्ञान मिलता है।
इसमें औषधियों की संख्या 125 के आसपास बताई गई है, जो कि 107 स्थानों पर पाई जाती है।
औषधि में सोम शब्द का विशेष वर्णन किया गया है।
ऋग्वेद का उपवेद आयुर्वेद को कहा जाता हैं।
- यजुर्वेद:-
यत् +जु, यत् का अर्थ है – गतिशील तथा ” जु” का अर्थ है – आकाश। यजुर्वेद में यज्ञ करने की विधियां और यज्ञ में प्रयोग की जाने वाले मंत्र के बारे में बताया गया है रहस्यमय ज्ञान यानि ब्रह्मांड, आत्मा, ईश्वर और पदार्थ का ज्ञान। सरल भाषा में हम कह सकते हैं,
कि हम ब्रह्मांड आत्मा ईश्वर और पदार्थ के बारे में ज्ञान की प्राप्ति के लिए यजुर्वेद का अध्ययन कर सकते हैं।
यजुर्वेद को गद्य में लिखा गया है, इसमें यज्ञ की प्रक्रिया के लिए गद्य मंत्र लिखे हैं।यजुर्वेद का उपवेद हैं
- धनुर्वेद। यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं – कृष्ण और शुक्ल।कृष्ण:- वैषम्पायन ऋषियों का संबंध कृष्ण से है। कृष्ण की भी 4 शाखाएं हैं।शुक्ल:- याज्ञवल्क्य ऋषि यों का संबंध शुक्ल से है। शुक्ला की भी दो शाखाएं हैं जिसमें 40 मंडल हैं
ऐसा कहना पूर्णतया गलत है,क्योंकि पिछले प्रमाणों में चरों वेदों का नाम एकसाथ आया है, उनमें अथर्ववेद भी शामिल है
।मगर तीन वेदों की भांति वेदों की ‘त्रयी विद्या’ का ठीक अर्थ न समझने के कारण है । चारों वेद त्रयी विद्या से ओत-प्रेत है।
कभी-कभी चारों वेदों को त्रयी विद्या से संबोधित किया जाता है,
क्योंकि वेदों में तीन प्रकार की विद्याएँ है जैसाकि महाभारत के श्लोक से स्पष्ट है आशा करता हु कि वेद कितने परकार के है
इस कि जानकारी आपको हो गई है अब हम इस टोपिक से विधा ले ते है मिलते है अगले टोपिक पर जय हिन्द जय भारत