तुलसीदास के गुरु कौन थे | Tulsidas Ke Guru Kaun The full story

तुलसीदास के गुरु कौन थे तुलसीदास जी एक महान संत थे जिनके नाम को परिचय की जरूरत नही हिन्दुधर्म के महान ग्रंथो में से एक रामायण की रचना की और संसार को एक अलग ही शिक्षा दी!

श्री रामचरितमानस एक ग्रन्थ ही नही है बल्कि इस से जीवन को किस प्रकार जिया जाये इसका सार लाभ भी है!

तुलसीदास के गुरु कौन थे
तुलसीदास के गुरु कौन थे
नाम तुलसीदास
गुरु का नाम नरहरिदास
पत्नी रत्नावली
तुलसी के इष्ट देव भगवान राम
तुलसी का परिचय

तुलसीदास का बचपन कैसा था

कहते है तुलसी का बचपन कुछ ख़ास नहीं था क्योंकि तुलसी का जब जन्म हुआ तो उनके मुँह में 32 दांत थे और जिस कारण उन्हें अपशगुन का कारण माना गया

कुछ का ये भी कहना है की तुलसी के जन्म के कुछ समय बाद तुलसी की माँ भी गुजर गई इस कारण तुलसी को उसके पिता ने एक मंदिर में छोड़ दिया

और उनकी शिक्षा और लालन पालन उस मंदिर के पुजारी ने ही किया इस लिए तुलसीदास का बचपन कुछ खास नहीं था

तुलसीदास के गुरु

जब तुलसी दास अपनी पत्नी पर अधिक प्रेम होने के कारण पत्नी के पीछे जब वे अपने ससुराल चले गये तो उनकी पत्नी द्वारा कटु वचन सुनने के बाद की मेरा यह शरीर इतना मेला है

इसके अंदर हाड़ मास के आलावा कुछ भी नही है फिर भी आप इतना प्रेम करते है अगर इसका आधा आप “राम नाम” से प्रेम करते तो भगवान आपको मिल गये होते!

रामचरितमानस

तुलसी द्वारा लिखी गयी रामचरितमानस का घर पर पाठ करने से भगवान राम की और रामभक्त हनुमान की कृपा द्रष्टी उस घर पर हमेसा रहती हैकहते है जहा जहां रामायण का पाठ होता है

https://amzn.to/3u5dOxyवहा वंहा हनुमानजी स्वयं आते है और सुनते है रामचरितमानस एक पुस्तक नहीं एक हमारा ग्रन्थ है जिसमें हमारी आने वाली पीढ़ी और हमारे संस्कार की शिक्षा है

रामचरितमानस
रामचरितमानस

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इस कारण तुलसीदास को ये बात लगी और वे उसी समय वहा से चल दिए और प्रयाग , द्वारिका , बद्रीनाथ , जगनाथ , और रामेश्वरम आदि प्रभु धाम पर पैदल ही गये

इसी बिच आपने श्री नरहर्यानन्द जी को आपने आपना गुरु बनाया! और तुलसीदास जी संसार से विरक्त यानि की सन्यास ले लिया!

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तुलसीदास का जन्म कब हुआ था

संवत 1554 में तुलसीदास का जन्म राजापुर गांव में हुआ था जो की उस समय चित्रकूट नामक जिले में हुआ था

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तुलसीदास भक्ति काल के समय में हुए थे और तुलसी के समय में महाराणा प्रताप और अकबर में द्वन्द चल रहा था तुलसी ने महाराणा प्रताप के भाई मानसिंह से

भी मुलाकात हुई तुलसीदास को अकबर ने भी बुलावा भिजवाया था परन्तु तुलसी ने इन्कार कर दिया

कहते है एक बार तुलसी के कोई भयानक रोग हो गया जिसको ठीक करने के लिए तुलसी ने कोई दवाई नहीं ली बल्कि बजरंग बाण की रचना कर दी जिसको नियमित उच्चारण से तुलसी बिलकुल स्वस्थ हो गए थे बजरंग बली की कृपा से

क्योंकि जब बजरंग बाण की की तुलसी ने रचना की उस समय तुलसी रोग से पीड़ित थे तो भगवान हनुमानजी ने सबसे

पहले तुलसी जी के उस रोग का निवारण किया और जब तुलसी बजरंग बाण का नियमित उच्चारण से बिलकुल स्वस्थ हो गए तो

उन्होंने हनुमानजी को धन्यवाद दिया बजरंगबाण आप भी पढ़ सकते है इसे पढ़ने से वास्तव में हनुमान की शक्ति का अनुभव होता है

दो चोर और तुलसीदास (tulsidas ke guru kaun the)

एक बार दो चोर तुलसी के आश्रम पर आने लगे ताकि उन्हें कुछ मिल जाये परन्तु जब भी आते उन्हें दो बालक पहरे पर मिलते tulsidas ke guru

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चोरो ने 2 – 3 दिन प्रयत्न किये परन्तु जब भी वे आते उन्हें वे दो बालक पहरे पर मिलते तो एक दिन सुबह उन्होंने तुलसी के आश्रम पर गए और तुलसीदास जी से पूरी बात कही तो तुलसी जी ने कहा कहो क्या लेने आये हो

अब तो उन्होंने कहा की आप उन दोनों सुन्दर बालको से हमे मिला दो तो तुलसी की आँखे नम हो गई और वे समझ गए की वे और कोई नहीं उनके प्रभु है जो की मेरी कुटिया में

थोड़ा धन होने के कारण उनको रखवाली करनी पड़ती है तो किस काम का है ये मेरा धन जो मेरे प्रभु को कष्ट दे रहा है इस लिए तुलसी ने दूसरे दिन ही अपने पास रखे घन को बांट दिया

तुलसीदास के गुरु कौन थे

तुलसीदास राम जी के महान भक्त होने के साथ साथ तुलसी दास जी कवियों में भी सिरोमणि थे तुलसी दास के दोहे आज भी प्रशिद्ध है रामायण की चोपाइयो को पहले सास्कृत में लिखा 

फिर उसको चोपाइयो के रूप में उतारा जेसे रघु कुल रित सदां चलीआई, प्राण जाये पर वचन ना जाये! इस तरह से तुलसी दास ने बहुत सी अपनी क्र्तियों लिखी 

तुलसीदास जी
तुलसीदास जी

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तुलसीदास जी की के भगवान रखवाले क्यों बने

जो भगवान का भक्त होता है वो सिर्फ भगवान से प्रेम करता है उसके जीवन में और किसी दूसरे का कोई स्थान नहीं होता है उसी प्रकार अब तुलसी के पास जो भी थोड़ा बहुत धन था वो भी अब तुलसी ने लुटा दिया की मेरे कारण मेरे प्रभु परेशान होते है

रामचरितमानस किसने लिखी (who wrote ramcharitmanas)

रामचरितमानस की रचना के बारे में गोस्वामी तुलसीदास ने सोचा भी नहीं था लेकिन जब उन्हें श्री रामभक्त हनुमान के दर्शन हुए

उसके बाद हनुमानजी ने रामचरितमानस की रचना के लिए कहा लेकिन गोस्वामीतुलसीदास ने कहा “में इस से पहले भगवान राम के दर्शन करना चाहता हु”

तब प्रभु राम के दर्शन के लिए हनुमानजी ने वचन दिया उसके बाद तुलसी को राम के दर्शन हुए फिर उन्होंने श्रीरामचरितमानस की रचना की थी

तुलसीदास के गुरु कौन थे आज का पोस्ट में हमने आपको बताया की तुलसीदास जी इतने महान थे की उन्हें भगवान की भी चिंता थी भला इतने अच्छे भक्तो को भगवान क्यों नही मिलेंगे अगर आपको ये कथा अच्छी लगी तो आप कमेन्ट में जय श्री राम लिखे !

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