भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में तुला दान का भी दृश्य देखने को मिलता है।भगवान श्री कृष्ण ने तुलादान की लीला में तुलसी का महत्व बताया था तुला दान कब करना चाहिए
जिसके कारण द्वारकाधीश के मंदिर के साथ साथ तुलादान मंदिर का निर्माण किया गया था।इस स्थान सत्यभामा द्वारा तुला दान की प्रक्रिया की गई थी
इसी कारण यहां पर बनाएंगे मंदिर का नाम तुलादान रखा गया।इस मंदिर में भगवान की मूर्ति के आगे एक विशाल तराजू रखा गया है जिस पर तुला दान किया
जाता था।तुला दान करने से ग्रहों के निर्मित दान हो जाता है जिसके कारण ग्रहों का हमारे ऊपर दुष्प्रभाव कम हो जाता है।

तुला दान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उस पर ईश्वर की कृपा बनी रहती है। तुला पर जो दान किया जाता है
वह सिर्फ ब्राह्मणों को देना चाहिए।तुला दान अगर सही विधि से किया जाए तो उसे उसका पूरा लाभ मिलता है अगर उसमें कोई भी गलती हो जाती है
तो उसका लाभ नहीं मिल पाता है इसलिए तुलादान जब भी करें तब पूरी सावधानी से करें ताकि आपको इसका पूरा लाभ मिल सके।
जो लोग शारीरिक रूप से तथा मानसिक रूप से पीड़ित होते हैं उन्हें तुला दान करना चाहिए ताकि वह है स्वस्थ हो सके।तुला दान करने से व्यक्ति के जीवन के रोग परेशानी दुख सभी नष्ट हो जाते हैं।
तुला दान करने का सही वार रविवार होता है जिसके दिन भी कोई तुला दान करता है तो उसका अधिक प्रभाव उस व्यक्ति पर दिखाई देता है।
तुला दान कई प्रकार से किया जाता है जैसे कि अनाज धन वस्त्र भूमि धन आदि अनेक उपायों से तुला दान की विधि को संपन्न किया जा सकता है।
तुला दान करने के पश्चात अनेक रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है।