प्राचीन काल में भारत में ऋषि मुन्नी बहुत हुए हैं जिन्होंने बहुत महान काम करें हैं इस महान कार्य से भारत की भूमि को पवित्र किया है और इसी महान की महान् कार्यों की सुगंध भारत भर में फैली हुई है (sursagar kiski rachna hai)
उनके महान कार्यों की चर्चा होती है ऋषि-मुनियों ने ज्ञान में हि नहीं साहित्य में भी बहुत बड़ा योगदान दिया है
इस सूरदास ,कबीरदास ,रविंद्र नाथ टैगोर आदि कवि हुए हैं आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से सूरदास सूरसागर के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे इसका संकलन आदरणीय माना जाता है
कि सूरसागर के अंदर 100000 पद है पर वर्तमान में 5000 ही पद प्राप्त हुए भारत पर भारतवर्ष के अंदर सूरसागर के अनेक प्रतिलिपि प्रचलित है

पर एक सबसे प्राचीन पर चली राजस्थान के नाथद्वारा के अंदर सुरक्षित रखी गई है अगर विस्तार की दृष्टि देखें तो सूरसागर गीता के अंदर ज्यादा मेला मेल मिलाप नहीं होता अब आते हैं
सूरसागर की रचना सूरसागर की रचना महाकवि सूरदास ने की है जिन्हें साहित्य का जहाज भी कहा जाता है अन्य रचनाएं निबंध साहित्य लहरी सूर सरावली नंद दायिनी सूरदास कौन थे
सूरदास ए महाकवि थे उन्होंने पूरा जीवन कृष्ण भक्ति में ही अर्पित कर दिया माना जाता है उन्होंने किशन की बाल लीलाओं को इतना सुंदर कैसे पर लिखा है
कि आप पढ़ते हो तो नाम की एक तस्वीर आपके सामने अगर होती है उन्होंने 6 वर्ष की आयु में अपना घर त्याग दिया था और एक तालाब के किनारे रह कर रचना करने लगे आशा करता हूं आपको यह तो पसंद आया होगा मिलते हैं