Sudama ki patni ka naam सुदामा श्री कृष्ण के बचपन का दोस्त था कृष्ण और सुदामा ने एक साथ में शिक्षा ली थी वे दोनों गुरुकुल में एक ही कुटिया में रहते थे
जब सुदामा और श्री कृष्ण युवा हो गए तो कृष्ण तो मथुरा के राजा बने और सुदामा एक गरीब ब्राह्मण हो गए सुदामा का नियम था
की वे केवल 5 घरो से ही भिक्षा लाएंगे इस कारण सुदामा बड़ा ही दरिद्र हो चूका था परन्तु सुदामा किसी से कुछ मांगता नहीं था जो उसे जो भी मिल जाता उसी से तृप्ति कर लिया करते

सुदामा की कहानी
एक दिन ऐसा आ गया सुदामा को कोई भिक्षा नहीं मिली और घर में भी कुछ नहीं बचा था तो सुदामा की पत्नी सुसीला ने सुदामा से कहा की तुम जिसकी पूजा करते हो वो ही तुम्हारे मित्र है ना
तो सुदामा ने बड़ी ही ख़ुशी से कहा हाँ तो सुसीला ने कहा की वो राजा है क्या तो सुदामा ने कहा हाँ
तो सुदामा की पत्नी ने कहा की तुम उस से जाकर हमारी गरीबी को दूर करने के लिए थोड़ा धन ले आओ तो सुदामा ने इंकार कर दिया

दोस्त है तो इसका मतलब ये नहीं की में उस से कुछ भी मांगू तो पत्नी ने सुदामा को जबरदस्ती सुदामा को मजबूर करके मना लिया तो श्री कृष्ण के पास सुदामा गए
सुदामा की पत्नी ने कृष्ण के लिए क्या भेजा
श्री कृष्ण के लिए सुदामा की पत्नी सुसीला ने चावल भेजे थे जो किसी अपने के भेंट भेजने का नियम था
और श्री कृष्ण ने उन 3 मुठी चावल के बदले में 3 लोको का वैभव सुदामा को कृष्ण ने दिया
Sudama ki patni ka naam भगवान ने सुदामा के कुछ भी ना कहने पर सारी बाते जानकर सुदामा को धनि व्यक्ति बना दिया बोलो श्री कृष्ण और सुदामा की जय!