Sant janabai | संत जनाबाई

sant janabai संत जनाबाई महाराष्ट्र में हुई एक महान संत है जिसके लिए भगवान को भी आना पड़ा था आज की कथा संत जनाबाई के बारे में है तो आइये जानते है आखिर कौन थी जनाबाई और कैसे भगवान उसकी सहायता को आये थे

जनाबाई बाई के पिता ने जनाबाई को विठल भक्त तामासेठी को सौंप दिया उसके बाद तामासेठी को एक पुत्र प्राप्त हुआ वे ही प्रसिद्ध संत श्री नाम देव जी थे वे नाम देव जी के घर में कपड़े धोना , झाड़ू लगाना , बर्तन साफ करना आदि काम करती थी

Sant janabai
Sant janabai

संत जनाबाई

एक बार जब नामदेव जी के घर में संतो की मंडली आयी हुई थी उस रात सभी संतो ने सतसंग की सतसंग इतनी रसभरी हुई थी की पता ही नहीं चला की सुबह कब हो गई वही एक कोने में बैठी जनाबाई भी झूमरही थी

सुबह होने पर जनाबाई अपने घर गई और जाके भाव विभोर हो गई सतसंग और पता ही नहीं चला सूर्य उदय हो गया तभी अचानक से जनाबाई की आँख खुली और जनाबाई को चिंता हुई की नाम देव जी यहाँ कितनी कठिनाई हुई होगी सूर्योदय हो गया है

तभी वह भागी – भागी गई नामदेव जी के घर और घर का कुछ काम किया और उसके बाद वह गई चन्दर भागा नदी पर कपड़े लेकर और फिर उसे अचानक एक और काम याद आ गया वो कपड़े वही छोड़कर फिर घर की तरफ भागी तभी उसकी चुनरी का पला किसी ने खींचा

संत जनाबाई माहिती

जब वह पीछे मुड़ी तो देखा की एक बुढ़िआ ने उसका पला पकड़ रखा था बुढ़िया ने कहा जना इतनी जल्दी में कहा भागी जा रही है जनाबाई ने कहा माई में नामदेव जी के घर जा रही हु

एक जरूरी काम याद आ गया है तभी बुढ़िया ने कहा अच्छा तुम जाओ तबतक में तुम्हारा काम कर देतु हु तो जना ने कहा नहीं माता में खुद ही कर लुंगी तो बुढ़िया माई के बार -बार कहने पर जनाबाई मानगईं

वो घर जाके फिर आई तो देखा की वहा कपड़े धुले हुए थे और वहा कोई भी नहीं था ये देखकर जनाबाई आश्चर्य में पड़ गई की बुढ़िया ने उसका सारा काम भी किया और बिना बताये कहा गई

जनाबाई जितना भी भूलने की कोसिस करे पर जनाबाई उस बुढ़िया को भूल नहीं पाई जब उस से रहा नहीं गया तो उसने नामदेव जी इस बात के बारे में कहा तो नाम देव जी तुरंत समझ गए की वो बुढ़िया कोई और नहीं स्वयं नारायण भगवान थे

sant janabai जब जनाबाई को इस बात का पता चला तो जनाबाई के आँखों से आंसू आ गए और उनकी भगवान बिठल में और भी आस्था हो गई अब आगे की कथा अगले पोस्ट में देखे तबतक जय श्री राम

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