sakhubai सखुबाई नाम की एक महिला भगवान की एक भक्त हो चुकी है असल में तो वो लोग ही जीवन जीने का आनंद प्राप्त करते है जो श्री भगवान के भक्त होते है
भगवान के भक्तो में ना केवल भगवान की भक्ति विध्यमान होती है बल्कि उनके अंदर संतोष और शांति भी होती है इसी बात को सत्य साबित करती है सखुबाई की ये कहानी
सखुबाई भगवान की बचपन से भक्त थी जब सखुबाई की विवाह की अवस्था हुई तो उनका विवाह कर दिया गया सखुबाई के परिवार में केवल 4 लोग थे
सखुबाई के सास और ससुर सखुबाई के पति जिस तरह सखु की भगवान में श्रद्धा थी उस प्रकार सखुबाई के परिवार के अन्य सदस्यों की नहीं थी

सखुबाई चरित्र
वे लोग भगवान में श्रदा नहीं रखते थे और बड़े ही स्वार्थी भाव के व्यक्ति थे ऐसा कोई दिन नहीं जाता था जब सखु की सास उसे नहीं खरी खोटी सुनाती और ना पीटती हो और तो और सखुबाई को वो भरपेट भोजन तक नहीं देती थी लेकिन फिर भी सखु ने एक दिन भी अपने सांवरे को अपना उलाहना नहीं दिया और दिन रात सेहती रहती अपने कर्मो को कारण मानते हुए की पिछले जन्म में मेरे ही बुरे कर्म होंगे
और सदा खुश रहती बस जो भगवान के भगत होते है और उनकी क्या निशानी होती है एक बार की बात है सखु को पता चला की बंडरपुर में बिठोबा का उत्सव हो रहा है तो सखु के ह्रदय में ये विचार आया की वो भी बंडरपुर जाकर के बिठोबा के दर्शन करेगी
sakhubai story
जब सखुबाई की सास को इस बात का पता चला तो उसने सखु को पकड़कर बांध दिया सखु बाई बहुत रोइ गिड़गिड़ाई लेकिन किसी ने दया नहीं की जब उसे 2 से तीन दिन हो गए तो ठाकुर जी को अपनी भक्त सखु की सहायता के लिए आना ही पड़ा
तो ठाकुर जी ने सखु की सहेली का रूप बनाया और सखु को खोल दिया और कहा मेने तेरी सास को समझा दिया है तू जा उत्सव में अपने बिठोबा से मिल आ तो सखुबाई ने सहेली को गले से लगाया और तुरंत चलीगई बंडरपुर अब क्या था ठाकुर जी आगये असंजस में किसी को पता ना चले ये सोचकर ठाकुरजी सखु का रूप में खुद ही बंध गए जहा सखूबंधी थी
sakhubai और सखु की मार सहते रहे और भूखे प्यासे जब सखु थोड़े दिन बाद घर लोटी बंडरपुर से तो सखु की सास ने सखु को आते देखा और सोचा जो अंदर है वो कौन है जब सखु यहाँ है तो सभी को सखु की भक्ति पर विश्वास हो गया और सभी सखु के चरणों में गिरे बोलिये श्री कृष्ण भगवान की जय हम आगे लेकर आएंगे रसखान की कथा तो आप ऐसे शेयर करे राम जी राम!