रामचरितमानस के रचयिता कौन है रामायण की रचना रचना पहले बाल्मीकि जी ने की थी ओर उसके बाद रामचरितमानस की रचना तुलसीदास जी ने की तुलसी को ही बल्मिका का अवतार कहते है
आधिर तुलसी जी ने रामायण की रचना क्यों की इसका क्या कारण था ये भी तो जानने की इच्छा होगी ना आपकी तो जानते है ये कथा

रामचरितमानस के रचयिता कौन है | गोस्वामी तुलसीदास |
रामचरितमानस की भाषा क्या है | बृजभाषा |
रामायण के रचयिता | बाल्मीकि जी |
तुलसी की पत्नी का नाम | रत्नावली |
तुलसी के गुरु | नरहर्यानंद जी |
रामायण के रचयिता कौन है
जय श्री राम पहले बात करते है की रामायण तुलसीदास जी कब और किसके कहने से लिखी जबकि रामायण की घटना तो राम के अवतार के समय की है!
यह बात संवत 1631 की है उस दिन रामनवमी थी और वार मंगलवार था श्री हनुमानजी महाराज की प्रेरणा से तुलसी दास जी ने रामचरितमानस लिखनी शुरू की
और रामायण को पूरा लिखने में तुलसीदास जी को 2 वर्ष , 7 महीने और 26 दिनों में का समय लगा
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और जब रामायण सम्पूर्ण हुई तो हनुमानजी महाराज प्रकट हुए और सबसे पहले तुलसी दास द्वारा लिखित रामायण सुनने वाले स्वयं हनुमानजी महाराज थे !
और कहते है रामायण का पाठ या सुन्दरकाण्ड का पाठ जहा भी होता है वहा श्री हनुमानजी आज भी आते है
और उन्होंने तुलसीदास को आशीर्वाद दिया की तुम्हारी यह कृति सम्पूर्ण संसार में अमर हो जाएगी तुलसीदास जी राम जी के कलियुग में सबसे बड़े भक्त थे ये बात सच है की हनुमानजी ने आज
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यो बिलकुल कम ना के बराबर मूल्य में क्योंकि रामचरितमानस एक ग्रंथ ही नहीं बल्कि जीवन को एक नई दिशा प्रदान करती है
रामचरितमानस के रचयिता कौन है जाने
रामचरितमानस ना केवल एक पुस्तक है बल्कि ये हमारे जीवन का आधार भी है इसमें बताया गया है की हमे किस तरह से अपने जीवन में रहना चाहिए अपने माता – पिता की आज्ञा हमारे लिए सबसे महत्व पूर्ण है हमे अपने व्यक्तिगत जीवन को नहीं बल्कि कर्तव्यों पर ध्यान देना चाहिए!
तक राम के भक्तो को सबसे पहले दर्शन दिए है चाहे आप सालासर बालाजी मोहन दास जी महाराज को ही देख लो
सालासर बालाजी का इतिहास
कहा जाता है मोहन दास नाम के राम भक्त को श्री हनुमान जी ने प्रतेयक्ष दर्शन दिए है राम भक्त हनुमान ने उन्हें कहा था
की तुम्हारे खेत में हनुमान की प्रतिमा मिलेगी तो खेत की जुताई के समय उन्हें हनुमान की मूर्ति मिली जिसे और किसी जगह पर स्थापित करी
लेकिन हनुमानजी के आदेशा अनुसार उसे वही खेत में मन्दिर बनाया गया जिसे आज सालासर बालाजी कहते है
रामायण में कितने कांड है
बाल्मीकि जी की रामायण में आठ कांड थे जबकि तुलसीदार द्वारा रचित “रामचरितमानस’ में सात कांड है बाल्मीकि जी की रामयण में एक कांड अधिक है जो है लव-कुश कांड तुलसी जी की रामायण में ये कांड नही है!

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रायामायण का वास्तविक अर्थ और शिक्षा क्या है क्या आप जानते है रामायण की वास्तविक शिक्षा है की समाज का मार्गदर्शन करना चाहे जेसी प्रिस्तिती आ जाये तो
उसे इश्वर की इच्छा समझकर स्वीकार करना और उस स्थिति में अपना रोल सही से निभाना ही रामायण में राम के जीवन से सीखना ही रामायण की सही शिक्षा है
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