panchjanya naam kiska tha जब श्री कृष्ण भगवान की शिक्षा पूरी हुई तो उनके गुरु सांदीपनि को श्री कृष्ण ने गुरु दक्षिणा मांगने के लिए कहा तो गुरु ने कुछ नहीं कहा तो
श्री कृष्ण ने फिर से कहा हे गुरु आपकी जो इच्छा हो वो मांगो तो गुरु माता ने श्री कृष्ण को कहा की मेरा एक ही पुत्र था उसे ही समुन्दर ने निगल लिया मुझे अपना पुत्र चाहिए

तो श्री कृष्ण ने गुरु माता की इच्छा की पूर्ति के लिए चले गए समुन्दर के पास तो समुन्द्र ने कहा प्रभु मेने किसी को नहीं मारा मेरे जल में एक राक्षस है उसी ने आपके गुरु के पुत्र को खाया है
तभी कृष्ण बलराम सहित समुन्द्र के जल में उतरे और तभी उन्हें एक विचित्र शंख मिला तभी कृष्ण ने वहा जाकर देखा तो वह राक्षस उसी शंख में सोया हुआ था
भगवान श्रीकृष्ण के शंख का नाम क्या था
तब भगवान ने उस राक्षस का वध कर दिया और और चलने लगे तो उस शंख पर भगवान की फिरसे नज़र पड़ी तो कृष्ण ने उस शंख को बजाकर देखा तो उसकी ध्वनि बहुत ही सुन्दर थी
तो भगवान ने उस शंख को अपने पास रख लिया और उसका नाम पाञ्चजन्य रखा और कहा ये शंख जहा भी बजाय जायेगा वह धर्म की विजय होगी तो भगवान श्रीकृष्ण के शंख का नाम क्या था पाञ्चजन्य
panchjanya naam kiska tha उसके बाद गुरु पुत्र राक्षस के पेट से भी नहीं निकला तो भगवान ने अमरावती में जाकर यमराज से अपने गुरु पुत्र लिया और वापिस आकर के गुरु को गुरु पुत्र प्रदान दिया और इस तरह अपनी गुरु को भगवान ने गुरु दक्षिणा प्रदान की जय श्री कृष्णा

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