Narayanastra : नारायणास्त्र की सचाई क्या

narayanastra: नारायणास्त्र भगवान विष्णु का महान अस्त्र है जो की इतना बड़ा अस्त्र है की सारे अस्त्र इस अस्त्र में ही परिपूर्ण है

नारायणास्त्र का एक वाक्य में आपको सुनाता हु जो महाभारत का है नारायणास्त्र महाभारत में एक ऐसे योद्धा ने चलाया

जो महाभारत के युद्ध में उसे कभी समान नहीं मिला उसके पास जो भी मान समान था वो अपने पिता के कारण था

जी हाँ आप समझ ही गए होंगे में बात कर रहा हु अश्वथामा की बात कर रहा हु अश्वथामा की एक और बात बताता हु

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Narayanastra के बारे में

की अश्वथामा भगवान श्री कृष्ण के श्राप के कारण आज तक जीवित्त है जी हां अभी आप और हम देख रहे है ना अभी भी अश्वथामा जीवित है

ये बात उस समय की है जब अश्वथामा के पिता यानि गुरु द्रोणचार्य को पांडवो ने मार दिया था तो अश्वथामा को इसका जैसे ही पता चला

की पाण्डुओ ने अश्व्थामा नाम के हाथी को मार कर गुरुद्रोण को उनके पुत्र के बारे में कहा की उनका पुत्र अश्वथामा मारा गया

तब गुरु द्रोण ने अपने हथियारों का त्याग कर दिया और पाण्डुओ ने इस बात का फायदा उठाकर द्रष्टद्युम्न ने तलवार से गुरु द्रोण की गर्दन उड़ा दी

अश्वत्थामा नारायणास्त्र

तब अश्वथामा ने ये बात जानकर क्रोध में आकर अपने पिता का दिया हुआ अचूक नारायणास्त्र चला दिया नारायण अस्त्र आकाश में जाते ही पाण्डुओ की सेना का संघार करने लगा

ये देखके पाण्डु डरने लगे तो सभी कृष्ण की शरण में आ गए और नारायणास्त्र का तोड़ के बारे में पूछा तो कृष्ण ने कहा की नारायणास्त्र कभी भी अपने शरण में आये को नहीं मारता है

तब कृष्ण ने युधिस्टर को ये कहा की आप अपनी सारी सेना को आदेश दे की वे सभी अपने हथियार छोड़ दे और पृथ्वी पर खड़े होके हाथ जोड़कर शरण में आ जाये

नारायणास्त्र की तभी सभी ने ऐसा किया परन्तु भीम नहीं माना तब नारायणास्त्र ने भीम पर सुदर्शन चला दिया

और अंत में भीम को भी श्री कृष्ण के समझाने पर नारायणास्त्र की शरण में आना पड़ा जिस कारण नारायणास्त्र शांत हुआ और पाण्डुओ की जान बची

narayanastra: तो दोस्तों आसा करता हु की मेने आपको दी गयी जानकारी से संतुष्ट किया होगा अगर आपको हमारी दी हुई जानकरी पसंद आयी तो आप शेयर और कमेंट करे!

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