mahabharat ki rachna kisne ki: महाभारत की रचना वेदव्यास ने की थी कहते है इसमें कुल 18 अध्याय और एक लाख दश हजार श्लोक है जब वेदव्यास को महाभारत का भान हुआ
तो उन्होंने परमपिता ब्रह्मा का आवाहन किया और भगवान ब्रह्मा उनके सामने प्रकट हो गए तब वेदव्यास ने उन्हें महाभारत के बारे में सारी बाते कही और कहा की वे इस ग्रंथ की रचना करना चाहते है
तब ब्रह्मा जी ने कहा की में अकेला इस ग्रंथ की रचना नहीं कर पाउँगा तो ब्रह्मा ने कहा की आप श्री गणेश का आवाहन करे क्योंकि गणेश जी ज्ञानियों में ज्ञानी है
तब वेदव्यास ने गणेश जी को याद किया और गणेश जी ने उन्हें दर्शन दिए तब व्यास जी ने उन्हें महाभारत की रचना करने को कहा और साथ में कहा की
महाभारत की रचना किसने की थी
में जैसे -जैसे आपको महाभारत की कथा बोलू आप वैसे ही लिखे तब गणेश जी ने कहा की जरूर लेकिन इसके लिए आपको एक बात मेरी भी माननी होगी तब गणेश ने कहा की आपको सारी कथा बिना रुके कहनी होगी
आप अगर रुकेंगे तो में लिखना बंद कर दूंगा तब व्यास ने उनकी बात मानी और कहा की में आपसे भी एक बात चाहता हु की में
जब भी कुछ कहु आप बिना सोचे समझे नहीं लिखेंगे आपको पहले उस बात को सोचना है और फिर लिखना है तब श्री गणेश ने उनकी बात मानी
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और महाभारत को लिखना शुरू किया गणेशजी ने जब गणेश जी तेजी से लिखते और वेदव्यास को सोचने का समय नहीं मिलता तो वेदव्यास एक बड़ा सा श्लोक बोल देते और गणेश जी
जबतक उसका अर्थ समझ कर लिखते तबतक वेदव्यास पूरा सोच और समझ लेते थे और आगे की कथा कहने लगते है
कहते है वेदव्यास ने ये कथा सबसे पहले अपने पुत्र शुक्र को सुनाई और फिर अन्य ऋषियों को उन्ही में एक वैश्य थे जिन्होंव ये कथा सुनी और वैश्य ने भी ये कथा ऋषि और मुनियो को सुनाई थी
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