ईश्वर कौन है इस बात पर बहुत बार कमेंट होते रहे हैं की भगवान होते हैं या नहीं लेकिन आज इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको यकीन हो जाएगा
कि ईश्वर कौन होते हैं और भगवान होते हैं या नहीं क्योंकि आज हमने आपको इस पोस्ट में पूरे सबूत के साथ हैं लाया हूं तो चलिए शुरू करते हैं

ईश्वर कौन है और कहां है
आजकल लोग पता नहीं किस तरह से प्रत्येक बात पर सवाल उठा देते हैं और तो और भगवान पर भी सवाल उठा दिया
कि भगवान वास्तव में है या नहीं उनसे मैं एक बात कहना चाहता हूं कि ईश्वर आपके कहने से और ना कहने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है
क्योंकि भगवान का दर्शन होना कोई छोटी बात नहीं है अज्ञानी से बड़ा अज्ञानी मूर्ख से बड़ा मूर्ख अगर एक छवि ईश्वर की पा जाए तो वह विद्वानों में भी विद्वान हो जाता है
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इसलिए आपके यह कहने पर ईश्वर है या नहीं है ईश्वर कहां है हमें दिखा दो तो ईश्वर आपको दर्शन नहीं देंगे वह तो उन लोगों को प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं जिनके मन में उनके प्रति सच्ची श्रद्धा है
आज मैं आपको पूरे यकीन के साथ हैं इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको पता चल जाएगा कि वास्तव में भगवान होते है
भगवान के बारे में
आप मुझे एक बात बताइए की किसी व्यक्ति को कोई काम कह देते हैं तो वह उस काम को नहीं करते कोई और काम में लग जाए
और हमारे काम को भूल जाए तो हम क्या उससे नाराज होंगे या खुश होंगे
यह बात आप इस प्रकार से समझे की मेरी नौकरी विदेश में लग गई है और मेरी जिम्मेदारी है कि मुझे मेरा परिवार चलाना है और मैं विदेश में जाकर वहीं पर उन्हीं के दिनचर्या के हिसाब से रहकर
उन्ही के खानपान दोस्त और भाई बंधुओं के साथ रहने लगु और अपने देश और अपने माता पिता को भूलजाउ और अपनी पत्नी संतान
सभी को एक पल भी याद नहीं करू जबकि मेंरा विदेश जाना इस लिए हुआ क्योंकि मेरे घर परिवार सही से रह सके
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और उनका पालन पोसन करू बस ये ही बात हम कर रहे है भगवान ने हमे इस संसार में भेजा है क्योंकि हम यहाँ आकर भगवान को प्राप्त करे
और अपने जन्म मरण के आवागमन को रोक दे परन्तु हम तो यहाँ पर इतने एसो आराम में खो गए है
की हम भूल ही गए की हम संसार में क्यों आये है केवल यहाँ इश्वर को प्राप्त करने के लिए आये है ना की यहाँ सुख भोगने हम यहाँ आकर ये ही प्रश्न करने लगे है की भगवान है या नहीं

क्या भगवान होते हैं या नहीं?
अब तो आपको पता चल ही गया होगा कि वास्तव में हमारा इस पृथ्वी पर क्या काम है जब हमारा एक ही उदेश्य है कि हमें भगवान को प्राप्त करना है हम उसे छोड़कर और अन्य चीजों में लग जाते हैं
और सोचते हैं कि यही सब है सोचो पृथ्वी पर जन्म क्यों हुआ
जन्म हुआ तो हम कमाने औलाद को जन्म देने और घर गृहस्ती को चलाने में लग जाते हैं उसके बाद बुढ़ापा आ जाता है और हमें एक दिन यह सब यही छोड़कर जाना पड़ता है तो इसका क्या कारण है
कि हमने कमाया औलाद को जन्म दिया अकेले आए थे
और अकेले ही जा रहे हैं वास्तव में यह हमारा शरीर तो एक साधन है जैसे आपको कहीं जाना होता है तो आप घर में पढ़े हुए कोई भी साधन कार दी का इस्तेमाल करते हैं
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और वहां जाकर आते हैं और उसे छोड़ देते हैं इसी तरह हमारा शरीर है हमारे शरीर का एक ही उद्देश्य है कि इससे हमें श्री भगवान को याद करना है
क्योंकि मनुष्य शरीर बहुत ही भगवान की कृपा से मिलता है इसमें सोचने समझने करने की ताकत होती है यह सोच सकता है
समझ सकता है कि हमें क्या करना है क्या नहीं करना है गाय को देवी मानते हैं माता मानते हैं पूछते हैं लेकिन हम या कोई और गाय को बांधकर
अगर पीटता है तो उस पर उसका कोई बस नहीं चलता है जबकि कहां जाता है गाय के शरीर में रोम रोम में देवता वास करते हैं
लेकिन श्री भगवान ने गाय को भी इतनी ताकत नहीं दी कि वह अपने अच्छे बुरे का ख्याल रख सके लेकिन मनुष्य शरीर में इतनी ताकत है दी है कि वह अपना अच्छा बुरा सोच सकता है
यहां तक कि श्री भगवान को पृथ्वी पर भी उतार सकता है इसलिए भगवान को प्राप्त करना ही हमारा एकमात्र उद्देश्य है
क्या किसी ने भगवान को देखा है?
अब प्रश्न यह है उठा है कि भगवान को किसी ने देखा है क्या जब एक संत से यही प्रसन्न किया गया जब एक भागवत कथा में किसी ने यह प्रश्न किया कि आपने भगवान को देखा है
क्या तो उन्होंने बहुत ही विनम्रता से जवाब दिया कि मैंने भगवान को देखा है भगवान पृथ्वी के कण-कण में विद्यमान हैं
जब हमें जरूरत पड़ती है तो हम आसपास के लोगों और अन्य व्यक्तियों पर ज्यादा भरोसा करते हैं और उन्हें हम पुकारते हैं
आपके सामने एक उदाहरण मैं रखता हूं जैसे द्रोपती की साड़ी जब दुशासन खींच रहा था तो द्रोपती ने सभी को आवाज लगाकर देख ली
कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं आया लेकिन जब सभी और का आश्रय छोड़कर द्रोपती ने सोचा कि अब और कोई भी मेरी सहायता नहीं कर सकता
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तो उसने श्री कृष्ण भगवान को पुकारा कि मेरी रक्षा करो और वह मुरली वाले एक पल की देर ना लगाई और वहां पर वस्त्र के रूप में ही प्रकट हो गये और द्रोपती का एक अंग भी दुशासन बिना वस्त्र के नहीं कर पाया और एक उदाहरण और भी है
जब गज और ग्राह के बीच में युद्ध चल रहा था मगरमच्छ हाथी को पानी में खींचता जा रहा था इसका जा रहा था और
जब गजेंद्र हाथी भी अपना जोर लगा लगा कर थक गया अंत में उसने सोचा कि अब तो मगरमच्छ ऊंचे पानी में सीन ले
जाएगा और उसका मरना ते हैं तो उसने अंत में श्री भगवान का सहारा या आसरा लिया और उन्हें पुकारा कि मेरी रक्षा करो तो भगवान गुरुर से कहने लगे
इतनी तेजी से चलो कितनी तेजी से आज तक तुम कभी पहले नहीं उड़े और उस पर भी जरूर और गिरा है कि नजदीक पहुंचने वाला था तो गुड़ के
क्या वाकई में भगवान है?
ऊपर से भी भगवान कूद पड़े गजेंद्र हाथी को हाथ पकड़ कर मगरमच्छ के सहित पानी से बाहर ले आए भगवान से इतनी भी देरी सहन नहीं हुई कि इतनी तेज उड़ने वाला गरुड़ पर से भी उन्होंने छलांग लगा दी ऐसे हैं
श्री भगवान दोनों कहानियों का कहने का मेरा एक ही उद्देश्य है कि आपके अंदर इतनी उत्सुकता इतनी लगन होनी चाहिए
कि आप दूसरों का सहारा छोड़कर केवल और केवल श्री भगवान का सहारा लें तो भगवान आपको जरूर मिलेंगे भगवान होते हैं और हमेशा भी रहेंगे
और मनुष्य या यूं कहूं यह जीव जो मनुष्य शरीर में मेरे द्वारा भी बोल रहा है वह भी भगवान का एक अंश है
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यह भी हमेशा रहेगा इस शरीर से पहले भी था इस शरीर के बाद भी रहेगा और इस शरीर के ना रहने पर भी हमेशा रहने वाला है इसीलिए कहा गया है
कि भगवान के अंश को ना कोई ऐसी अग्नि है जो जला सकती है और ना ही कोई ऐसी हवा है जो सुखा सकती है यह शरीर पंच तत्वों से बना है और वह 1 दिन इसी में विलीन हो जाएगा
भगवान कहाँ रहता है
अब यह प्रश्न उठा है कि भगवान रहते कहां है तो इसका जवाब मैं इस प्रकार से देना चाहूंगा कि भगवान हमेशा अपने भक्तों के हृदय में रहते हैं भगवान ने इतना अधिकार कह दिया है कि भगत मेरे मुकुट की मनी है और मैं भक्तों का दास हूं
भगवान बड़े से बड़े विद्वान भगत को भी मिले हैं और भगवान बड़े से बड़े अज्ञानी भक्तों को भी मिले हैं जैसे हम देखें भगवान बाल्मीकि जी को मिले थे बाल्मीकि जी पहले डाकू थे
और उल्टा राम नाम का जप किया मरा मरा कहा तो राम राम शब्द निकला और इनको इतना ज्ञान हो गया कि भगवान श्री राम के अवतार से पहले ही उन्होंने रामायण की रचना कर दी kya bhagwan
यह अज्ञानी भी रहे हैं और सबसे अधिक विद्वान भी रहे हैं और देखा जाए तो कलयुग में धन्ना जाट जैसे भी हैं
ईश्वर कौन है भगवान को प्राप्त करने के लिए विद्वान होने की जरूरत नहीं बस उन्हें एक मात्र अपने सरल हद से करना होता है यह नाथ हे मेरे नाथ मैं आपको कभी भूल नहीं