हरिराम राजस्थान के छोटे से जिले नागौर में प्रकट हुए बाबा श्री हरिराम जी महाराज हरिराम जी जाति से ब्राह्मण थे
उनके विचार ऊँचे थे वे जाती पाती का भेदभाव नहीं रखते थे महाराज जी को बचपन से ही भगवान श्री राम मैं बहुत आस्था थी इसलिए
जब उनके अध्यापक जी उन्हें शिक्षा देते थे और अक्षर लिख कर देते

हरिराम जी की कथा हरिराम जी
और कहते लिखो तब वह अक्षर नहीं लिखते और स्लेट पर राम का नाम लिखते और अपने मित्रों को भी यही शिक्षा देते उनको बचपन से ही सत्संग में जाने का चाव था
वे जहा भी सतसंग होती वहा जाते थे और प्रेम से सतसंग सुनते थे जब उनके भरवाले नाराज होते की तुम नीची जति के लोगो के घर
सतसंग सुनकर आता है Hariram ji ki katha | जी की कथा 1 ही पार्ट में
hariram ji jhorda
तब वे बात को अनसुनी कर दिया करते थे एक बार हरिरामजी को पता चला की पास के गांव में सादु बाबा आये है और रोज सतसंग करते है
तो बालक को चाव चढ़ गया और वे भी जाने लगे लेकिन उस समय में उनके गांव झोरड़ा और
आस पास के अन्य छेत्रो में सांप बिच्छू और बाण्डी और अन्य जहरीले जानवरो का प्रकोप था (राधा कृष्ण के पुत्र का नाम)
हरिराम

रात को व्यक्ति सोता और सुभह उसकी चारपाई से उसकी लास ही उठानी पड़ती थी तभी महाराज ने उन सादु बाबा से
एक दिन अपना गुरु बनने का आग्रह किया तो सादु बाबा ने उन्हें गुरु बनना स्वीकार किया अगर हरिरामजी की कहानी पूरी विस्तार से सुन्नी है (तुलसीदास के गुरु कौन थे)
Hariram ji ki katha

Hariram ji ki katha तो आप हमे कमेंट करे और सादु बाबा ने शिक्षा दी इसी कारण महराज जी झोरड़ा गांव में प्रसिद्ध हुए
और बहुत से लोगो को बचाया कहते है वे सादु महाराज जो हरिराम जी के गुरु बने वो कोई और नहीं बल्कि स्वयं हनुमानजी महाराज ही थे राम जी राम (धन्ना जाट की कथा) !