Goswami Tulsidas | तुलसीदास जी की कथा

goswami tulsidas तुलसीदास जी एक महान कवि होने के साथ – साथ एक महान श्री राम भक्त भी थे ये आप सभी को पता होगा ही आज हम  तुलसीदास जी से जुड़ी हुई

सभी बाते जानेगे की किस तरह से उन्हें राम के नाम का रस चढ़ा और उन्होंने रामचरितमानस की रचना कर डाली

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tulsidas ji ka jivan parichay तुलसी दास का परिचय 

तुलसी का बचपन का नाम तुलाराम था तुलसीदास को बाल्मीकि जी का अवतार माना जाता है तुलसी दास के पिता आत्माराम दुबे माता का नाम हुलसी देवी था!

एक वाक्य तुलसीदास के बारे कहा जाता है की जब तुलसीदास जी का जन्म हुआ तो उनके मुख में  पुरे 32 दांत थे  इस कारण उनके पिता ने उन्हें अनिष्ट का कारण भी समझने लगे थे इस लिए तुलसी के पिता ने तुलसीदास को बचपन में ही त्याग दिया था

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तुलसीदास की पत्नी का नाम

तुलसीदास जी अपनी पत्नी  से बहुत ज्यादा प्रेम करते थे लेकिन एक बार की बात है जब तुलसी दास किसी कारण वश घर से बाहर गए हुए थे तो पीछे से उनके ससुर

उनकी पत्नी जिनका नाम रत्नावली या बुद्धिमती था वे अपने पिता के साथ पीहर चली गई ! तुलसीदास जी की कथा

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जब तुलसी घर लोटे तो उन्हें पता चलते ही वे घर से ससुराल चले गए अंत में वे रात में पहुंचे ये देखकर उनकी पत्नी को बहुत लाज शर्म आई और उन्होंने थोड़े गुस्से में कह दिया 

“मेरा ये शरीर हाड़ ,मांस का बना है इस पर तुम्हे इतनी प्रीति है अगर आप इस से आधी प्रीति राम के नाम से कर लो तो तुम भाव सागर से तर जाओगे या

श्री राम को पा लोगे” इतना सुनते ही तुलसी दास को ज्ञान हो गया वे उसी वक्त वहा से चले गए तुलसीदास के गुरु में पहले स्थान पर उनकी पत्नी को भी कहते है और तुलसी संसार से विरक्त हो गए प्रभु की भक्ति को अपना लिया!

tulsidas ka jivan parichay in hindi

तुलसीदास जी नित्य शौच आदि के लिए गंगा पार जाया करते थे और रोजाना वे लोटे का बचा आधा जल वही एक पेड़ में डाल दिया करते थे 

तुलसीदास और प्रेत आत्मा

एक दिन उस पेड़ से एक प्रेतआत्मा प्रकट हुई और कहने लगी की में आपसे खुश हु मुझसे वरदान मानगो तो गुसाई जी ने कहा क्यों खुश हो तो उसने कहा की में इस पेड़ पर रहता हु 

आप जो जल रोजाना अर्पित करते है उसे में पीता हु इस लिए तो तुलसी जी ने कहा तुम मुझे वरदान देना चाहते हो तो में श्री राम के दर्शन करना चाहता हु मुझे ये वरदान दो तो प्रेत ने कहा पास goswami tulsidas

ही में रोजाना मंदिर पर सत्संग होती है और रोजाना वहा एक कोड़ी के रूप में हनुमानजी आते है आप उन्हें पकड़ लो और उनसे कहे तो आपको श्री राम के दर्शन जरूर होंगे

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तब आपने श्री हनुमानजी कोड़ी के रूप में देख कर आपने उनके चरण पकड़ लिए और जोर – जोर से रोने लगे तो हनुमानजी ने उन्हें श्री राम का दर्शन होगा चित्रकूट जाने को कहा चित्रकूट में जब तुलसीदास एक वन में ऐसे ही घूम रहे थे

तो उन्होंने देखा की दो सुन्दर राजकुमार गोरा और श्याम रंग के घोड़े पर जा रहे है तो तुलसी की उन्हें देखकर टक टकी लग गई तुलसीदास जी की कथा

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पीछे से हनुमानजी ने आकर कहा कुछ दिखा क्या तो तुलसी जी ने कहा हा दो सुन्दर राजकुमार गोरा और श्याम तो हनुमानजी ने कहा वे ही श्री राम और लक्ष्मण है इस तरह उन्हें राम जी के दर्शन हुए 

goswami tulsidas आज तुलसीदास जी की कथा के बारे में पढ़कर आसा करता हु की आपको बहुत अच्छा लगा होगा आपने अगर पूरा पढ़ा है तो कमेंट में जय श्री राम लिखना मत भूलना मिलते है एक नई भक्त की कथा में तब तक जय श्री राम!

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