gopeshwar mahadev गोपेश्वर महादेव का अर्थ है कि महादेव अपने आप को गोपी के रूप में परिवर्तित करना जब भगवान शंकर ने देखा कि भगवान श्री कृष्ण वृंदावन में रासलीला कर रहे हैं
तो उनके मन में रासलीला मैं जाने का विचार आया तभी उनको इस बात का पता चला की रासलीला में तो केवल नारियां ही जा सकती है वहां पर पुरुष तो केवल श्री कृष्ण के अतिरिक्त और कोई नहीं जा सकता इसलिए महादेव ने विचार किया

गोपेश्वर महादेव की कथा
कि वह एक गोपी का रूप धारण करेंगे और रासलीला में प्रवेश करें तभी महादेव जी गोपी का रूप बनाया और रासलीला में जाकर के नृत्य करने लगे कृष्ण ने गोपी बने हुए
महादेव को पहचान लिया और श्री कृष्ण ने एक लीला रचि श्री कृष्ण ने कहा की सभी गोपियां एक लाइन में खड़ी हो जाए और अपने चेहरे से घूंघट हटा दे
gopeshwar mahadev story
मैं सभी के चेहरे देखुगा कि कौन सी गोपी आई है और कौन सी नहीं तभी महादेव आश्चर्यचकित हो गए कि ऐसे में तो पोल खुल जाएगी तो महादेव ने विचार किया कि जो भी कतार बनेगी मैं उसमें सभी से पीछे खड़ा हो जाऊंगा जब कतार बन गई
और पीछे भगवान शंकर गोपी के रूप में खड़े हो गए तभी श्री कृष्ण ने कहा कि मैं लाइन के आखिर में से शुरू करूंगा तभी महादेव वहां से आगे जाने लगे तो कृष्ण ने गोपी का हाथ पकड़ लिया और घूँघट उठा दिया तभी सभी ने पूछा ये इतनी सूंदर गोपी कोण है तो कृष्ण ने कहा
गोपेश्वर महादेव मंदिर कहा है
की ये गोपेश्वर है तो सभी ने कहा ये पहले तो नहीं दिखी तो कृष्ण ने सभी को बताया ये महादेव है और कृष्ण ने महादेव भगवान के गोपी रूप लेने के कारण इस ख़ुशी में कृष्ण ने वृंदावन में गोपेश्वर महादेव की स्थापना की
Gopeshwar mahadev और स्वयं श्री कृष्ण और सभी गोपियों और राधा जी सहित गोपेश्वरमहादेव की पूजा की बोलिये श्री राधा रानी की जय!