गणगौर 2022 | गणगौर की सच्ची कथा

हमारा भारत एक रंगीन देश है जिसमें समय-समय पर विभिन्न प्रकार के रंग भरते रहते हैं यहां पर भारत की राज्य तथा उनकी संस्कृति की झलक दिखाई पड़ती हैं (गणगौर 2022)

वहां की वेशभूषा से वहां की वह बोल चाल से और वहां की त्योहारों से पता चलता है।गणगौर की अपनी एक खासियत होती है

जो अन्य त्योहारों में भी अपनी भूमिका निभाती है।भारत का राज्य राजस्थान जोकि मारवाडी की जाती है।गणगौर मारवाड़ का बहुत बड़ा त्यौहार है।

जो बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। मैं केवल राजस्थान बल्कि जहां पर अन्य राज्यों में मारवाड़ रहते हैं वहां इस त्यौहार को मनाया जाता है।

गणगौर कितने दिन मनाया जाता है?

गणगौर पूजन दो तरीकों से किया जाता है एक तो जो मारवाड़ बनाते है उसी प्रकार मध्यप्रदेश में निमाड़ी लोग मनाते हैं।इनके त्योहार एक ही है

लेकिन पूजा की तरीके अलग-अलग है।जहां मारवाड़ी लोक 16 दिन की पूजा करते हैं वही निमाड़ी लोग मुख्य रूप से 3 दिन की गणगौर पूजा करते हैं

गणगौर की सच्ची कथा
गणगौर की सच्ची कथा

और बनाते हैं।गणगौर एक ऐसा पर्व है जो हर एक स्त्री के द्वारा हर साल मनाया जाता है।इसमें कुंवारी कन्या से लेकर विवाहित कन्या तक गणगौर की पूजा की जाती है

जिस में शिव तथा माता पार्वती का पूजन करती हैं।इस पूजन का महत्व कुंवारी कन्या के लिए अच्छे पति की कामना के लिए किया जाता है।

और विवाहित कन्या अपने पति की दीर्घायु के लिए इस पूजन को बड़े ही विधि विधान से और सच्चे मन से पूजन करती हैं।

गणगौर 2022

इसमें कुंवारी कन्या पूरी तरह से तैयार होकर तथा विवाहित कन्या सोलह सिंगार करके 16 दिन तक इस त्यौहार की पूजा करते हैं।

जिस इस त्योहार का बहुत बड़ा महत्व है उसी प्रकार इसके पूजन में प्रयोग होने वाली सामग्री का पूर्ण होना भी बहुत बड़ा महत्व है।

इसमें पूजा की सामग्री में लकड़ी की चौकी तांबे का कलश होली की राख दो मिट्टी की कुंडे मिट्टी का दीपक कुमकुम चावल हल्दी गुलाल काजल घी फूल आम के पत्ते धूप पान के पत्ते नारियल सुपारी गणगौर के कपड़े गेहूं बांस की टोकरी,चंद्रिका कपड़ा आदि।

और गणगौर की उद्यापन के लिए ऊपर गोली की सभी सामग्री तथा इसके साथ कुछ अन्य सामग्री है जो अंतिम दिन उद्यापन के समय प्रयोग की जाती है

जिस प्रकार हलवा गेहूं पूरी आटे के फल सोलह सिंगार का सामान आदि इस सामग्री का गणगौर के पूजन में होना अति आवश्यक है।16 दिन स्त्री अपने पीर में जाकर गीत गाती हैं

गणगौर की सच्ची कथा

और 16 दिन उद्यापन करती हैं जिसमें 16 लड़कियां जो कि कुंवारी होती हैं उन्हें सुपारी देखकर आमंत्रित करते हैं और अपना अध्यापन करती हैं

विवाहित लड़की विवाह होने के बाद पहली होली के बाद गणगौर का उद्यापन करते हैं।16 दिन तक गीत गाकर गणगौर की बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं

और अंतिम दिन उद्यापन कर गणगौर को विसर्जित कर देती।फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका का दहन होता है उस के दूसरे दिन पाडवा अर्थात जिस दिन होली खेली जाती है

उस दिन से गणगौर की पूजा प्रारंभ हो जाती है।ऐसी जिसकी विवाह के बाद प्रथम होली होती हैं उसके घर में लकड़ी का पाटा लगाकर उन्हीं के घर पर गणगौर की पूजा की जाती है।

इस प्रकार विवाहित में कुंवारी कन्या द्वारा इस त्यौहार को मनाया जाता है और हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है इसकी समाज में बहुत मान्यता भी है। गणगौर 2022

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