आखिर सबसे पहले श्री गणेशाय नमः क्यों कहते है

श्री गणेशाय नमः
किसी भी अनुष्ठान जागरण पूजा-पाठ या कोई शुभ कार्य करने से पहले भगवान श्री गणेश को मनाया जाता है

सबसे पहले भगवान श्री गणेश का ही स्मरण किया जाता है भगवान गणेश के माता के नाम पार्वती पिता का नाम महादेव यानी शिव है।

हिंदू धर्म किसी भी शुभ कार्य करने से पहले स्वर प्रथम श्री गणेश को मनाया जाता है क्योंकि इन्हें विघ्न हरता तथा रिद्धि सिद्धि का स्वामी माना गया है।

भगवान गणेश के जप से इनकी पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती है।गणेश शब्द का अर्थ है गणों का स्वामी।

श्री गणेशाय नमः
श्री गणेशाय नमः

ganesh ji

सर्वप्रथम श्री गणेश की पूजा की जाती है ताकि उनके गढ़ हमारे शुभ कार्य में कोई विघ्न न लाएं इसीलिए हम सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं

और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।प्रत्येक शुभ कार्य करने से पहले ओम श्री गणेश के मंत्र का उच्चारण किया जाता है।भगवान श्री गणेश विद्या के देवता है।

सृष्टि के निर्माण में जब यह प्रश्न उठा की सबसे पहले किसकी पूजा की जाए तथा किस देव को मनाये जाये ।इसके उपाय के लिए सभी देवता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे

और ब्रह्मा जी ने कहा जो भी देवगन सबसे पहले सृष्टि की परिक्रमा लगाएगा वही स्वर प्रथम पूज्य देव माना जाएगा

इसलिए सभी देवगण अपनी अपनी वाहन पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा लगाने के लिए चल पड़े। श्रीं गणेश का वाहन चूहा है

श्री गणेशाय नमः

और उनका शरीर विथुल। इस स्थिति में वह परिक्रमा कैसे कर सकते हैं।इस समस्या को सुलझाया देव ऋषि नारद ने उन्होंने कहा कि तुम भूमि पर राम नाम लिखकर उसकी परिक्रमा करो

भगवान श्री गणेश ने ऐसा ही किया जिसके फल स्वरुप भगवान श्री गणेश ब्रह्मा जी के पास सर्वप्रथम पहुंच गए इसी कारण यह तय हुआ

कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान श्री गणेश को पूजना अति आवश्यक होगा। श्री गणेश का वर्ष में एक बार श्री गणेश चतुर्थी त्यौहार आता है

जिसे संपूर्ण सृष्टि बड़े ही धूमधाम से बनाती है श्री गणेश भगवान जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी असीम अनुकंपा अपने भक्तों पर बरसा देते हैं।

ओम श्री गणेशाय नमः

भगवान श्री गणेश को एक दंत भी कहा जाता है क्योंकि इन्होंने पुराण के रचना के समय कलम की जगह अपनी एक दांत का प्रयोग किया था।

भगवान श्री गणेश का जन्म भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को हुआ था।भगवान श्री गणेश को गजानंद भी कहा जाता है क्योंकि इनका मस्तक गज का है

इसलिए गजानंद कहा जाता है।भगवान श्री गणेश का विवाह हुआ और इनकी दो पत्नियां थी जिनका नाम रिद्धि तथा सीधी था

इनसे भगवान श्री गणेश को 2 पुत्र हुए जिन्हें शुभ तथा लाभ बताया जाता है इनका विवाह है रिद्धि तथा सिद्धि से होने के कारण इन्हें रिद्धि सिद्धि का स्वामी भी कहा जाता है।

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भगवान श्री गणेश को लड्डू अधिक प्रसन्न है इसी कारण भक्त लोग भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए ज्यादातर लड्डू का भोग ही लगाते हैं।

पृथ्वी के अनेक भागों में भगवान श्री गणेश को अनेक नामों से जाना जाता है। भगवान श्री गणेश की सेवा कर अपने जीवन के दुख दूर किए जा सकते हैं

तथा सुख को प्राप्त किया जा सकता है अपनी सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं इसीलिए तन मन धन से भगवान श्री गणेश की पूजा पाठ करनी चाहिए

जिससे आप पर भगवान श्री गणेश प्रसन्न हो जाएं और उन की असीम अनुकंपा आप पर बनी रहे जिससे आपका जीवन खुशहाली से भरा रहे

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