गजेंद्र मोक्ष पाठ के लाभ | गजेंद्र मोक्ष पाठ कैसे करें

गजेंद्र मोक्ष पाठ के लाभ श्री भगवान के प्यारे भगत गजेन्द्र हाथी की भगवान के लिए की गयी

स्तुति को ही गजेन्द्र मोक्ष कहा जाता है क्या आपको पता है गजेंद्र हाथी की पूरी कहानी

आज आपको गजेंदर हाथी की पूरी कथा बतायेंगे क्योंकि आपके मन में कुछ प्रश्न आते होंगे तो इसका उतर निचे सारणी में दिए है अंत में कमेंट जरूर करे

गजेंदर मोक्ष कौन पढ़ सकता हैगजेंदर मोक्ष स्त्री और पुरुष सभी पढ़ सकते है
लाभकर्ज मुक्ति
कब पढ़ेसुबह ब्रह्म मुहूर्त
पढ़ने का नियमकोई नियम नहीं
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गजेंद्र मोक्ष पाठ के लाभ

इसी में आपको गजेन्द्र मोक्ष के लाभ का पता चल सकता है

तो आइये जानते है की आखिर भगवान ने एक हाथी को दर्शन केसे दिए

गजेंद्र मोक्ष पाठ के लाभ
गजेंद्र मोक्ष पाठ के लाभ

गजेंद्र मोक्ष पाठ कैसे करें

सुबह जल्दी उठे और ब्रह्म मुहूर्त में आप गजेंद्र मोक्ष पाठ के लिए बैठे भगवान की प्रतिमा के आगे और अपना ध्यान इधर उधर से हटा दे

और केवल भगवान में ही लगाए और पूरा पाठ पढ़े ये जरूरी नहीं की आप उसे संस्कृत में पढ़े आप हिंदी में भी पढ़ सकते है कहते है इसका पाठ अगर नियमित रूप से किया जाये तो भगवान के दर्शन अंत समय में जरूर होते है

आईये जानते है गजेंद्र मोक्ष पाठ के लाभ

गजेंद्र अत्यंत बलवान प्रचंड वेग से निरंतर दौड़ते हुए काल रूपी अजगर के स्वामी है

जो भयभीत होकर शरण में आए हुए की रक्षा करते हैं जिनके वेग से मृत्यु भी भाग दौड़ती है

क्रियाशील है मैं उन्हें परम  रक्षक की शरण हूं द्रविड़ देश में पहले पांडेय राज्य के एक राजा थे

इंद्र धूमन वे सदा भगवान के स्मरण, ध्यान पूजा और नाम जप मेंके लगे रहते थे

एक बार वे कुलाचल पर्वत पर मौन होकर वानप्रस्थ आश्रम स्वीकार करके श्रीहरि की अरे यार करते थे

उसी समय वहां अपने ऋषि यों के शिष्यों के साथ अगस्त्य ऋषि आए राजा उस समय भगवान के पूजन में लगे हुए थे

विनय कुछ बोले और ना ही मुनि का सत्कार किया अगस्त्य जी को  क्रोध आ गया

उन्होंने उसे श्राप दिया और कहा हे मूर्ख मतवाले हाथी की भांति बन गया है

ब्राह्मण का अपमान करता है अंत  हाथी की योनि प्राप्त हो श्राप देकर अगस्त्य ऋषि चले गए

उनके  श्राप से प्रभावित होकर शरीर छूटने पर राजा इंद्र दमन

क्षिण सागर के मध्य त्रिकूट पर्वत पर हाथी हुए वे बड़े ही बलवान थे गजेंद्र मोक्ष

गजेंद्र मोक्ष पाठ के लाभ
गजेंद्र मोक्ष पाठ के लाभ

गजेंद्र हाथी को भगवान की याद आना

उनके भयसे सिंह भी गुफा में छिप जाते थे

एक बार वे गजराज अपने यूथ की हाथियों और पत्नियों के बच्चों के साथ वन में घूम रहे थे

तेज प्यास लगने के कारण वहां के सरोवर पर पहुंचे वह सरोवर बहुत ही बड़ा था

और उसमें स्वस्थ जल भरा हुआ था

कमल खिले थे सभी हाथियों ने जल पिया ,

स्नान किया और अपनी सूंड में जल को ऊपर उछलते हुए जल क्रीड़ा करने लगे

उस सरोवर में महर्षि देवल के  श्राप से ग्रह होकर फूफू नामक गंधर्व रहता था

वह ग्राह होकर जल क्रीड़ा करते हुए गजराज के पास चुपके से आया

और पैर पकड़कर उन्हें जल में खींचने लगा

गजराज ने शीघर मारी दूसरे हाथियों ने भी उन्हें सहारा दिया परंतु  वह

ग्राह बहुत ही बलवान था दूसरे हाथी शीघ्र ही थक गए तभी वह

जल की ओर खींचता कभी गजराज उसे किनारे की ओर खींच लाता

इस प्रकार दोनों में बराबर गजराज ने हजारों हाथियों का बल था वह करता जाता था

वे थकते जाते थे गिरा है तो जल का प्राणी था वहीं से जल में बलवान परने लगा

जब ग्राह के द्वारा खींचे जाते गजेंद्र बिल्कुल थक गए गजेंद्र पानी ले चली

गजेंद्र मोक्ष पाठ के लाभ
गजेंद्र हाथी की पूरी कहानी

और उन्हें लगा कि अब मैं डूबने वाला हूं तब उन्होंने भगवान की शरण लेने का निश्चय किया

और कमल पुष्प तोड़कर उसे सूंड में उठाकर भगवान की स्तुति करने लगे

जब कोई अत्यंत कातर होकर भगवान को पुकारता है

तब वे एक मिनट की देरी नहीं करते कातर कंठ से गजराज भगवान की स्तुति करे थे

देवता भी उनके साथ मिलकर भगवान का स्मरण कर रहे थे

उसी समय भगवान गरुड़ पर बैठे वहां प्रकट हुए

भगवान का दर्शन करके गजराज ने वह पुष्प ऊपर की ओर उछाला

और कहा कि नारायण आपको नमस्कार भगवान ने अपने भगत गजराज को ग्रह के सहित

जल में से निकालकर पृथ्वी पर रख दिया

अपने चक्कर से ग्रह का मुख फाड़कर भगवान ने गजराज को छुड़ाया

भगवान के चक्कर से मर कर मगरमच्छ 

ऋषि के श्राप से छूटकर  गंधर्व हो गया उसने भगवान की स्तुति की

और उनकी आज्ञा लेकर अपने लोक को चला गया

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गजराज को भगवान का आसरा मिला उनके अज्ञान का बंधन तत्काल ही नष्ट हो गया

उनका श्राप का शरीर सुंदर दिव्य चतुर्भुज रूप में परिवर्तित हो गया

तो इस कथा से हमे पता चल गया है की गजेंद्र मोक्ष पाठ के लाभ कितने मह्त्वपूर्ण है

हम हर बात में अपना दम लगाने की कोसिस करते रहते है

लेकिन भगवान को कभी भी याद तक नही करते है

जबकि भगवान जेसे भगत प्रहलाद ने कहा था हमारे हर पल नजदीक ही खड़े रहते है

की कब ये जिव पुरे सरल भाव से मुझे पुकारे जेसे द्रोपती ने पुकारा और

भगत प्रहलाद और नरसी मेहता और धना जाट ने पुकारा

वेसे मुझे ये जिव कब पुकारे ताकि में देर ना लगाऊ

और गजेन्द्र हाथी की तरह आकर उसे इस भव् सागर से पार ले आऊ

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गजेन्द्र हाथी ने भगवान की जो स्तुति की है उसे ही गजेन्द्र मोक्ष कहा गया है

क्या आपको पता है की हम गजेंद्र मोक्ष का पाठ कैसे करें तो

इसके लिए आपको कुछ भी नियम और वर्त नही धारण करना है

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्रम्

सिंपल सुबह ब्रह्म महूरत में इसका पाठ रोज करे इस से भगवान आपको दर्शन देते है

और आपके सभी कष्ट दूर करते है

आपको हमारी ये कथा केसी लगी हमे कमेन्ट करके जरुर बताये

एसी ही भगवान के भगतो की कथा के लिए आप हर पल हमारी इस साईट पर रोज विजिट करे

गजेंद्र मोक्ष पाठ के लाभ और पढ़े हर रोज एक नये भगत की कथा तब तक जय श्री राम!

गजेंद्र मोक्ष का पाठ कितने दिन करना चाहिए?

यह उसी प्रकार है जैसे हनुमान चालीसा आप जितना दिन गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करेंगे आपको उतना ही लाभ मिलेगा आप चाहे तो उम्र भर कर सकते है ज्यादा जानकारी के लिए eaarti.com पर जा सकते है!

गजेंद्र मोक्ष का पाठ कब करना चाहिए?

गजेन्द्र मोक्ष का पाठ सही समय बताये तो आप गजेन्द्र मोक्ष का पाठ सुबह ब्रह्ममुहूर्त में करे तो सबसे अच्छा रहता है नहीं तो आप जब मन करे तब भी गजेन्द्र मोक्ष का पाठ कर सकते है! ज्यादा जानकारी के लिए eaarti.com पर जा सकते है

गजेंद्र मोक्ष पाठ कैसे करें?

सुबह स्नान करके सब ओर से मन को हटाके पूजाघर है तो उसमे स्वच्छ आसन पर बैठ के या निचे नहीं बैठ सकते तो ऊपर बैठ कर भी गजेंदर मोक्ष का पाठ कर सकते है ज्यादा जानकारी के लिए eaarti.com पर जा सकते है

गजेंद्र मोक्ष यह किसका अंश है?

गजेंद्र मोक्ष भगवान विष्णु के भक्त गजेंद्र हाथी की कथा है की किस प्रकार उसे भगवान को पुकारने पर उसकी रक्षा की ज्यादा जानकारी के लिए eaarti.com पर जा सकते है

Gajendra का मतलब क्या होता है?

गजेंद्र मोक्ष एक पुस्तक है जिसमे श्री भगवान के प्रति विश्वास को प्रमुखता दी गई है की भगवान अपने भक्तो के पुकारने पर आते है ज्यादा जानकारी के लिए eaarti.com पर जा सकते है

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