महर्षि दुर्वासा के पिता महर्षि अत्रि और माता का नाम देवी अनुसुइया था महर्षि दुर्वासा स्वभाव में बड़े ही क्रोधि स्वभाव के थे कहा जाता है दुर्वासा ऋषि पृथ्वी पर आज भी जीवित है Durvasa rishi
दुर्वासा जी जितने स्वभाव में क्रोधी थे उतने ही कोमल भी थे दुर्वासा ऋषि के बारे में बहुत सारी ऐसी बाते है जो इस से पता चलता है की दुर्वासा ऋषि के सामने सभी एक समान है कोई छोटा नहीं कोई बड़ा नहीं
दुर्वासा ऋषि
एक बार दुर्वासा ऋषि ने इंदर को भी श्राप दे दिया जब दुर्वासा ऋषि खुश होकर इंदर को अपने गले की माला निकालकर दे दी और इन्दर ने दुर्वासा का अपमान किया और वह माला इन्दर ने
ऐरावत के गले में डाल दी और ऐरावत ने वह माला गले से उतार कर पेरो में रौंद डाली जब ऋषि ने ये सब देखा तो उनके क्रोध का सामना इन्दर को करना पड़ा दुर्वासा ऋषि ने इंद्र को लक्ष्मी विहीन होने का श्राप दे दिया पूरी कहानी

rishi durvasa
एक बार जब पाण्डुओ को 12 वर्ष का वनवास मिला हुआ था तब पाण्डुओ दुर्वासा ऋषि को दुर्योधन ने उस समय पाण्डुओ के पास भोजन के लिए भेजा
जब पांडव और द्रोपदी भोजन के पश्चात विश्राम कर रहे थे तब दुर्वासा ऋषि ने भोजन के लिए कहा पाण्डुओ को तो युधिष्ठिर के पास एक ऐसा पात्र था जिसमे भोजन ख़त्म नहीं होता था
तब जाके युधिष्टर ने दुर्वासा ऋषि और उनके 10 हज़ार शिष्यों को भोजन कराया था
एक कथा के अनुसार दुर्वासा ऋषि का अपमान श्री कृष्ण के पुत्र साम ने किया था जिसके कारण उन्होंने यदुवंशियो के नास हो जाने का श्राप दिया था
ऋषि दुर्वासा कहते है की आज भी जीवित है क्योंकि ये तीनो लोको में थे और आज भी शशरीर भी जीवित है
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