dronacharya ke guru kaun the गुरु द्रोणाचार्य महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे द्रोणाचार्य के गुरु महर्षि भरद्वाज के शिष्यों में से अग्निवेश नाम के शिष्य द्रोनाचार्य के गुरु थे
अग्निवेश गुरु ने द्रोणाचार्य को शिक्षित किया और अस्त्रों सस्त्रो से सजीत कर दिया गुरु द्रोणाचार्य ने कृपाचार्य की बहिन कृपी से विवाह किया जीस से उन्हें अस्व्थामा नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई
द्रोणाचार्य जब अपने गुरु अग्निवेश से शिक्षा ले रहे थे तो वहा गुरुकुल में इनका एक सबसे प्रिय मित्र था ध्रुप्त जब वे दोनों एक साथ होते थे तो ध्रुप्त कई बार बोल दिया करता था की में तुम्हे दोस्त आधा राज्य भी दे सकता हु तुम मेरे इतने प्यारे मित्र हो

अर्जुन के गुरु कौन थे
गुरु द्रोण कौरवों और पांडवों के गुरु बने द्रोणाचार्य ने द्रोणाचार्य के सभी शिष्यों में से अर्जुन उनके प्रिय शिष्य थे और अर्जुन के गुरु द्रोणाचार्य थे द्रोणाचार्य ने अर्जुन को महान धनुर्धर बनाया राजगुरु होने के कारण महाभारत में भी युद्ध के लिए भाग लिया और मृत्यु को प्राप्त हुए
महाभारत में अर्जुन का सामना गुरु द्रोणाचार्य से बहुत बार हुआ एक बार अर्जुन और गुरु द्रोणाचार्य सभी का साधना पांडवों के अज्ञातवास से वापस आने पर लूंगा
गुरु द्रोणाचार्य अर्जुन युद्ध
गुरु द्रोणाचार्य काफी निर्धन थे वे कई बार अपने पुत्र अस्व्थामा को चावल का सफेद पानी दूध कहकर पिलाते थे एक बार द्रोणाचार्य को पता चला की भगवान परसुराम अपनी सारी सम्पति निर्धन ब्रामणओ को बांट कर स्वयं वन में तप के लिए जा रहे है
तभी द्रोणाचार्य भी वहां पहुंचे और जाकर देखा तो परशुराम जी ने अपनी सारी संपत्ति गिरी ब्राह्मणों में बांट दी थी तब द्रोणाचार्य ने परशुराम जी से आग्रह किया तो परशुराम जी ने कहा कि मेरे पास इस शरीर के अलावा और कुछ नहीं केवल मेरा ज्ञान ही है
dronacharya ke guru kaun the तब गुरु दोनों ने द्रोणाचार्य में गुरु द्रोणाचार्य ने उनसे शिक्षा लेने का निवेदन किया तभी परशुराम भगवान ने उन्हें अपना शिष्य बनाया और धनुर्विद्या में महान धनुर्धर बना दिया आगे