द्रोपदी चीर हरण : draupadi kiski patni thi

draupadi kiski patni thi आज हम आपको द्रोपदी से जुड़ी हुई सभी महत्पूर्ण बातो का जिक्र करेंगे जेसे द्रोपदी चीर हरण क्यों हुआ की द्रौपदी का स्वयंवर अर्जुन ने जीता था

फिर भी द्रोपदी को पांचो पांडवो की पत्नी क्यों कहा जाता है और द्रोपदी के पिता कोन थे और उन्होंने इसका विरोध क्यों नही किया

draupadi kiski patni thi
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द्रौपदी कौन है : why draupadi married 5 pandavas

द्रोपदी महाभारत काल में प्रसिद्ध कोरव और पांडवो के कुरुधेत्र युद्ध में लड़ने वाले कोरव और पांडवो में पांडवो की पत्नी थी और राजा ध्रुप्त की पुत्री थी

वह राजा ध्रुप्त की पुत्री होने के कारण द्रोपदी नाम हुआ! राजा ध्रुपत ने हवन कराया जिस से द्रोपदी अग्नि से प्रकट हुई इस लिए द्रोपदी के नाम में से एक नाम यज्ञासनी भी था!

draupadi in mahabharat

द्रोपदी चीर हरण द्रोपदी को भगवान का आशीर्वाद या वरदान था की वह हर 1 साल एक पांडव की पत्नी रहती और एक साल पूर्ण होने के बाद वह तपस्या करती और भगवान के आशीर्वाद से वह फिर से सतीत्व को प्राप्त हो जाती

और उसके बाद फिर वह दुसरे पांडव के साथ रहती और आगे इसी तरह का क्रम चलता था इसी लिए द्रोपदी पांच पांडवो की पत्नी होने के साथ सती ओरतो में भी पूजनीय थी

draupadi

परम भगत द्रोपदी भगवान कृष्ण की परम भगत थी पंचाल नरेश राजा ध्रुपद की कन्या थी जोकी यज्ञ कुंड से प्रकट हुई थी

द्रौपदी बहुत ही सुंदर थी पूर्व जन्म में उसे आकाशवाणी हुई देवों के देव महादेव भगवान शंकर है,

द्रौपदी स्वयंवर महाभारत

भगवान शंकर के वरदान है, उसे इस जन्म में पांच पति प्राप्त हो अकेले अर्जुन द्वारा स्वयंवर में जीती जाने पर भी माता कुंती की आज्ञा से इन्हीं पांचों भाइयों को ब्याह था द्रोपती उच्च कोटि की पतिव्रता नारी थी

भगवान श्री कृष्ण के चरणन में उनकी सच्ची भक्ति थी क्योंकि वह भगवान श्री कृष्ण को सर्वव्यापक और सर्वशक्तिमान मानती थी यह उनका पूर्ण विश्वास था वह भगवान श्री कृष्ण को अपना सखा रक्षक तथा भाई मानती थी

जब कौरवों की सभा में दुष्ट दुशासन ने उसको लज्जित करने का दुस्साहस किया तब सभासदों में से किसी का भी साहस नहीं हुआ

द्रौपदी किसकी पत्नी थी

द्रोपदी को वेसे तो अर्जुन ने स्वयंवर को जीतकर अपनी पत्नी बनाया था लेकिन कुंती माता की अजीब आज्ञा के कारण द्रोपदी को अर्जुन के बाकि सभी 4 भाइयो से भी शादी करनी पड़ी थी!

इस लिए द्रोपदी 5 पांड्वो की पत्नी थी इस करण द्रोपदी को पांचाली भी कहा गया है!

कि इस अत्याचारी को अत्याचार करने से रोका जाए उस समय उसकी लाज बचाने वाला कोई नहीं था द्रोपती रो-रोकर व्याकुल हो चुकी थी

dropdi kon thi

पर उसकी पुकार किसी ने नहीं सुनी द्रोपती अत्यंत व्याकुल होकर अंत में भगवान श्रीकृष्ण को पुकारा की है

गोविंद द्रौपदी के नाम भगवान श्री कृष्ण के अनेकों नाम लेते हुए पुकारा की हे गोविंद हे द्वारिकाधीश हे केशव हे नाथ हे जनार्दन मैं कौरवों के समुंदर में डूब चुकी हूं

द्रोपदी चीर हरण

आप मुझे इस समुंदर से निकालिए अर्थात हे भगवान हे केशव मुझे इससे बुरे अपमान से बचाइए इस समय मेरी रक्षा करने वाला कोई नहीं है

हे नाथ आप मेरी रक्षा कीजिए हे नाथ मैं बहुत बड़े संकट में पड़ चुकी हूं मुझे आपकी शरण चाहिए हे नाथ मेरी रक्षा कीजिए सच्चे हृदय की करुण पुकार भगवान तुरंत ही सुनते हैं भगवान श्री कृष्ण ने उसकी पुकार को सुना

how draupadi managed 5 husbands
द्रोपदी चीर
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तब भगवान श्री कृष्ण द्वारिका में थे भगवान श्रीकृष्ण वहां से तुरंत दौड़े आए और द्रोपती के वस्त्र के रूप में प्रकट होकर उसकी लाज बचाई भगवान की कृपा से द्रोपती की साड़ी अनंत गुना बढ़ गई

दुशासन उसे जितना ही खींचता था वह उतनी ही ज्यादा बढ़ती गई देखते ही देखते वहां साड़ी का ढेर लग गया महाबली दुशासन की 10000 हाथियों के समान बलशाली भुजाएं भी साड़ी को खींचते खींचते थक चुकी थी

द्रोपदी ने पांच पांडवो से सदी क्यों की

और दुशासन खींचते खींचते थक चुका था परंतु साड़ी का चोर हाथ से नहीं आया सारे सभा जन पतिव्रता नारी और भगत वत्सल भगवान की इस चमत्कार को देखते रह गए

अंत में दुशासन लज्जित होकर बैठ गया भगत वत्सल प्रभु ने अपने भगत की लाज बचाई भगवान अपने भक्तों के लिए दौड़े आते हैं

आपकी राय द्रोपदी के बारे में

आज के पोस्ट द्रोपदी चीर हरण और द्रोपदी के अन्सुल्छे रहेश्यो के बारे में था आपको हमारा ये पोस्ट केसा लगा और आपकी क्या राय है

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