dhrishtadyumna in hindi जब द्रोणाचार्य ने पाण्डुओ और कौरवों को शिक्षा दी तो उसके बदले में उन्होंने उनसे गुरु दक्षिणा भी मांगी तो उनकी गुरुदक्षिणा में उन्होंने कहा
की आप सभी मेरे शिष्यों को मिलकर पांचाल नरेश राजा ध्रुपत को हराना है और जो भी मेरा शिष्य उसे बंदी बनायेगा वह मेरा सबसे सर्वश्रेष्ठ शिष्य होगा

उसके बाद पाण्डुओ और कोरवो ने मिलकर पांचाल राज्य पर हमला किया जिसमे द्रोणाचार्य के सभी शिष्यों ने मिलकर के ध्रुपत को हराया और अर्जुन ने ध्रुपत को बंदी बनाया और अर्जुन को उसके बाद गुरु द्रोण का सर्वश्रेष्ठ शिष्य की उपाधि मिली
dhrishtadyumna in hindi
यह एक मात्र युद्ध ऐसा था जहा कुरु प्रदेश के योद्धा यानि की कौरव और पांडव एक ही पक्ष से युद्ध लड़े थे उसके बाद राजा ध्रुपत को द्रोणाचार्य के पास लाया गया और पंचाल का आधा राज्य अश्वथामा को दिया गया
और ध्रुपत को छोड़ दिया अब ध्रुपत ने कसम खाई की में एक ऐसे पुत्र को प्राप्त करूंगा जो की द्रोणाचार्य की मृत्यु का कारण बने तब ध्रुपत ने सभी ऋषि मुनियो को बुलाया लेकिन कोई ऐसा करने में कोई सक्ष्म नहीं था
धृष्टद्युम्न किसका पुत्र था
तभी उनमे से एक ऋषि ने कहा की आपकी सहायता एक ऋषि कर सकते है जिनका नाम है ऋषि याज तो ऋषि याज ने ध्रुपत की इच्छा पूरी की और यज्ञ किया जिस से उसे धृष्टद्युम्न नाम का पुत्र प्राप्त हुआ जो द्रोणाचार्य की मृत्यु का कारण बना था
जब महाभारत का युद्ध हो रहा था तो उस समय पाण्डुओ ने योजना बनाई जिसमे द्रोणाचार्य को मरना था जब दूसरे दिन द्रोणाचार्य के पास समाचार आया युद्ध करते
हुए की अश्व्थामा मारा गया ये सुनकर गुरु द्रोणाचार्य ने युधिस्टर से और युधिस्टर ने कहा की गुरुदेव ये सच है और भीम ने मारा है तो गुरु द्रोणाचार्य ने अपना सस्त्र त्याग दिए
dhrishtadyumna in hindi और तभी मोके का फायदा उठाकर ध्रुप्त के पुत्र धृष्टद्युम्न ने तलवार से द्रोणाचार्य का सर काट दिया जबकि भीम ने तो अश्व्थामा नाम के हाथी को मारा था इस तरह धृष्टद्युम्न का जन्म सफल हुआ था!