Danveer Karna | कर्ण महाभारत

danveer karna: काल में बहुत सारे ऐसे योद्धा हो गये है जो बहुत महान थे लेकिन फिर भी उनको महाभारत में मरना पड़ा है इन्ही में से एक है महान करण जो की महान योद्धा होने के साथ साथ दानवीर और महान राजा भी थे

इस कारण इनका एक नाम और था अंगराज आज भगवान श्री कृष्ण के सखा और भक्त कर्ण की पूरी कहानी बतायेंगे केसे कर्ण का जन्म हुआ और केसे वे इस लायक हुए ताकि वे इस युद्ध में महान योद्धा की पदवी मिली

danveer karna
danveer karna

कर्ण का चरित्र चित्रण

महान कर्ण न केवल महान योद्धा थे बल्कि महान वेक्तित्व के भी धनी थे ये बात उस समय की है जब कुंती युवती थी तथा कोमरिका कन्या थी वे अपने गुरु की बहुत सेवा सत्कार करती थी तभी उनकी निस्वार्थ सेवा और भक्ति से प्रश्न होकर उनके गुरु ने उन्हें ऐसा मन्त्र दिया जिस से वे चाहे उस वक्त किसी भी देवता को बुला सकती थी

danveer karna story

और वो देवता को बंधन था की वह अपनी मर्जी से कुंती को वरदान दे कुंती मन्त्र को लेकर बहुत खुश हुई और अपने महल को चली आई लेकिन मन में पूरा विश्वास नही होने के कारण कुंती ने एक भूल कर दी उन्होंने ये निश्चय किया की इस मन्त्र की परीक्षा की जाये जिस से पता चले ये मन्त्र सत्य है या नही तभी वे सोचने लगी कोनसे देवता को बुलाये तभी सूर्य देव उदय हुए

कर्ण का चरित्र

कुंती अपने नियम के अनुसार सूर्यदेव को प्रतिदिन जल चढ़ाती थी तभी कुंती के मन में आया की क्यों न सूर्यदेव को बुलाये तभी कुंती ने सूर्यदेव के लीये मन्त्र का उचारण सुरु किया और और होना क्या था जब कुंती ने आखे खोली तो देखा सूर्यदेव उनके सामने प्रकट हो गये सूर्यदेव ने कुंती को वरदान मांगने को कहा तो कुंती डर गई उनके मुह से जुबान तक नही निकली और सेहम सी गई तभी सुरदेव ने कहा मेरे दर्शन अमोघ है मुझे तुम्हे कुछ न कुछ देना ही होगा तभी सूर्यदेव ने एक पुत्र प्रदान किया जो की आगे चलकर कर्ण के नाम से प्रसिद्ध हुआ

danveer karna
danveer karna

भूल वश कुंती ने एक एसी भूल कर दी जो उन्हें जीवन भर भुगतना पड़ा और उनके पुत्र कर्ण को भी भुगतना पड़ा अगर कुंती ऐसा नही करती तो कर्ण जेसे महान वैय्क्ति आज का नाम भी नही होता है

karna in mahabharat

कर्ण को जब पता चला की वह भी कुंती का पुत्र है तब तक बहुत देर हो चुकी थी वह महाभारत का गलत पासा पकड़ चूका था दुर्योधन को मित्रता का वचन दे चूका था

और उसे वो सब काम करने पड़े जो वो नही करना चाहता था उन सभी दर्शयो का भागीदार होना पड़ा जो वो नही होना चाहता था

कर्ण को ना चाहते हुए अधर्म का साथ भी देना पड़ा और उसे झेलना भी पड़ा कर्ण जितना महान योद्धा था उतने उनके कार्य महान नही थे

surya putra karna

कुंती के हाथ में कर्ण को थमाकर सूर्यदेव तो चले गये परन्तु उसके बाद कुंती को ये समस्या हो गई की कर्ण को कहा रखे क्योंकि कुंती तो उस वक्त कोमरी थी

surya putra karna

danveer karna: कर्ण ने ना चाहते हुए दुर्योधन के कारण द्रोपदी चीर हरण का भागीदार होना पड़ा साथ में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु को मारना पड़ा और तो और महाभारत युद्ध में भी शामिल होना पड़ा बहुत से ऐसे कार्य में शामिल होना पड़ा जो कर्ण कभी नही करता

Leave a Reply

%d