Bhargavastra | भार्गवास्त्र कर्ण को ही क्यों दिया परशुराम ने

bhargavastra: भार्गवास्त्र बहुत ही ताकतवर अस्त्र था इस अस्त्र का कोई तोड़ नहीं था भार्गवस्त्र का सीधा सा अर्थ तो आपको पता ही चला होगा भार्गव अर्थात पंडित और पंडित तो एक ही था जो प्रसिद्ध और खुद भगवान ही था परशुराम भगवान

भार्गवास्त्र भगवान परशुराम ने केवल कर्ण को ही दिया था कर्ण ने इस अस्त्र का प्रयोग महाभारत के युद्ध में किया था परशुराम के 3 शिष्य थे जिनमे केवल कर्ण के पास ही भार्गवास्त्र था

कर्ण ने जब द्रोणाचार्य से शिक्षा लेने की इच्छा की तो द्रोणाचार्य ने कर्ण को मना कर दिया और तब कर्ण ने कश्म खाई की में अर्जुन से श्रेष्ठ धनुर्धर बनुगा और कर्ण परशुराम से शिक्षा लेने के लिए निकल पड़ा

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आगे कर्ण को पता चला की परशुराम तो केवल ब्रह्मण को शिष्य बनाते है वो भी ऐसे ब्राह्मण को जिसको चारो वेदो का ज्ञान कंठस्थ हो

भार्गवास्त्र

तभी कर्ण ने पहले चारो वेदो को कंठस्थ कीया और फिर एक ब्राह्मण के भेष में कर्ण परशुराम के पास गया और परशुराम से शिक्षा ली जब परशुराम को पता चला की कर्ण वास्तव में एक सूत पुत्र है

तो परशुराम ने क्रोध में आके कर्ण को श्राप दिया की जब तुम्हे मेरी शिक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ेगी तब मेरी कोई भी शिक्षा तुम्हे काम नहीं आएगी इसी लिए कर्ण को एक श्रापित योद्धा भी कहते है

तब कर्ण ने कहा की हे भगवान आपका श्राप मुझे मंजूर है लेकिन एक सूत पुत्र हु इस कारण आपने मुझे इतना बड़ा श्राप दिया क्योकि में ब्राह्मण नहीं हु जबकि मेरी निष्ठा आप के प्रति बहुत है उसमे कोई खोट नहीं

bhargavastra: तब भगवान परशुराम को अपनी गलती का एहसास हुआ तब परशुराम कर्ण से खुश होकर भार्गवास्त्र प्रदान किया और अपने सभी शिष्यों में एक कदम बड़ा बना दिया और कहा की तुम मेरे सभी शिष्यों में अलग होंगे

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