श्रीमद् भागवत कथा पुराण | janmashtami kitni tarikh ki hai

janmashtami kitni tarikh ki hai जब श्री कृष्ण महाभारत काल के बाद माता गांधारी के श्राप को शिरोधार्य करके इस पृथ्वी को त्याग कर चले गए थे तो वे जाते समय उद्धव के सामने श्रीमद् भागवत में समा गए थे! तभी से श्री कृष्ण ने कहा हुआ भागवत और भागवत में लिखा हुआ श्री कृष्ण की वाणी है

श्रीमद् भागवत में18 हजार श्लोक और 335 अध्याय व 12 स्कंध होते हैं यह व्यास जी द्वारा रचित बहुत श्रेष्ठ पुराण है। समान्य रूप से इसका 7 दिनों का पाठ होता है

श्रीमद् भागवत में लिखा है अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से सात दिन में इसको सम्पूर्ण पढता है और विश्वाश करता है तो उस वयक्ति को सात दिन में मुक्ति मिलती है

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श्रीमद् भागवत कथा पुराण

इस महापुराण के बहुत अच्छे फल है इस महापुराण को पढ़ने के इतिहास में मुझे 2 ऐसे लेख याद है जिनकी कथा आपको श्रीमद् भागवत कथा पढ़ने पर मजबूर कर देगी

एक तो पाडुओं के पौत्र महाराज परीक्षित की कथा आती है जब उन्होंने कलियुग को अपने राज्य में कुछ ही जगह रहने का आदेश दिया था तो कलयुग स्वर्ण में उनके सरपर सवार होकर के उनसे शमीक ऋषि का अपमान करने के कारण शमीक ऋषि के पुत्र को अपने पिता का अपमान करने का इतना क्रोध आया की उसने ने राजा परीक्षित को श्राप दिया

राजा परीक्षित की मृत्यु कैसे हुई

की आगे आने वाले 7 वे दिन तुम्हारी मृत्यु तक्षक सर्प के काटने से हो जाएगी जब ये बात परीक्षित को पता चली तो उनके मन में बहुत पश्चाताप हुआ और वे इस उपाय की खोज करने लगे की 7 दिनों में मुक्ति कैसे पाई जाये तो शुकदेव जी ने उन्हें

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मोक्षदायनी श्रीमद् भागवत की कथा सुनने की आज्ञा दी और परीक्षित ने वैसा ठीक वैसा ही किया और शुकदेव जी के द्वार पूरी भागवत सुनी और 7 वे दिन तक्षक के काटने से मुक्ति को प्राप्त हुए

bhagavad gita in hindi अगर श्रीमद् भागवत की ऐसी दूसरी घटना आप सुन्ना चाहते हो तो आप कमेंट में कहो तो आपके लिए में दूसरी घटना लेकर प्रस्तुत हो जाऊंगा तब तक जय श्री राम!

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