भगवान के सामने सभी भक्त एक ही समान होते है वे सभी को एक समान प्रेम करते है इसी बात को प्रमाणित करते हुए आज हम आपके लिए लेकर आये है भगवान के परम भक्त भीम कुम्हार कथा जो की एक बिलकुल समान्य व्यक्ति था
आइये जानते है की किस प्रकार भीम कुम्हार को भगवान की प्राप्ति हुई इस कथा से आपको विश्वाश हो जायेगा की भगवान अपने भक्तो का कल्याण किस प्रकार करते है इसके लिए पढ़े हमारे भीम कुम्हार की पूरी कथा की केसे श्री भगवान उसे मिले!

बहुत ही पहले की बात है दक्षिण में जहां वेंकटाचल है उसी के समीप कुर्मग्राम में एक कुम्हार रहता था उसका नाम भीम था
उसकी भगवान के प्रति बहुत ही श्रद्धा थी वह हमेशा कोई भी काम करता तो भगवान के ध्यान मग्न रहकर ही करता वह इतना सच्चा भक्त था की भगवान श्री वेंकट नाथ उसकी हर पूजा को स्वीकार करते थे!
क्योंकि उस पूजा में भीम की पूरी श्रद्धा होती थी उसी समय में वहां के राजा तोंडमान थे जोकी भगवान के सच्चे भक्त थे वह प्रतिदिन भगवान श्रीनिवास की पूजा बहुत ही सुंदर-सुंदर पुष्पों से किया करते थे
लेकिन एक दिन जब वे पूजा करने आए तो यह देखा कि भगवान के आगे पहले से ही पुष्ट चढ़े हुए हैं ,मिट्टी से बने हुए कमल और तुलसी के पुष्प भगवान के आगे चढ़ाए हुए हैं!
इस बात से हैरान होकर राजा तोंडमान से रहा नहीं गया उन्होंने तुरंत ही इस बात के बारे में भगवान से पूछा कि हे भगवान मेरे से पहले आपकी पूजा किसने की है
तो भगवान ने कहा की हे तोंडमान ये पूजा तो कुर्मग्राम में एक मेरा भक्त भीम कुम्हार है जोकी बड़ी श्रद्धा से मेरी पूजा करता है और मैं हमेशा उसके निश्छल मन से की हुई पूजा स्वीकार करता हूं!
राजा तोंडमान का भीम कुम्हार से मिलने जाना
राजा तोंडमान इस बात को सुनकर बहुत ही हर्षित हुए क्योंकि उनके मन में भगवान के भक्तों के प्रति हमेशा आदर भाव रहता है वह इस बात को देखने के लिए की ऐसा कौन सा भगवत भगत है
जोकि भगवान को इतना प्रिय है उसके दर्शन की इच्छा को मन में करके राजा वहां से कुर्मग्राम में जा पहुंचे जब राजा कुर्मग्राम में पहुंचा और उसने भीम के यहां उसके घर गए तो भीम कुम्हार ने राजा को आया देख उसका स्वागत सत्कार किया!
राजा ने बड़ी ही गदगद वाणी से कहा की हे भीम तुम अपने कुल में सबसे श्रेष्ठ हो भगवान के तुम अनन्य भक्त हो
फिर राजा ने कहा की में ये जानने आया हु की भीम तुम भगवान की पूजा पाठ किस प्रकार करते हो
जो श्री भगवान तुम्हारी पूजा को हमेशा स्वीकार करते हैं तो इस पर भीम कुम्हार ने कहा कि हे राजन मैं क्या जानू पूजा-पाठ मैं तो एक सीधा सा व्यक्ति हूं!
भीम कुम्हार को पिछले जन्म की याद आना
ऐसा कहने पर राजा तोंडमान ने कहा कि मेने स्वयं भगवान श्री निवास के मुख से तुम्हारी पूजा की बात सुनी है तोंडमान के इतने कहने से ही कुम्हार की सोई हुई समृति वापिस जाग उठी
और उसे पिछले जन्म की याद आ गई उसने कहा कि हे महाराज पूर्व काल मुझे भगवान वेंकट नाथ ने वरदान दिया था कि जब तुम्हारी की हुई पूजा प्रकाशित हो जाएगी!
और जब तुमसे मिलने तोंडमान आएगा जब तुम्हारी आपस में वार्तालाप होगी उसी समय तुम्हें परमधाम की प्राप्ति होगी
उसकी यह बात पूर्ण होते ही आकाश मार्ग से एक दिव्य विमान धरती पर आया जिसमें भगवान विष्णु स्वयं विराजमान थे
कुम्हार और उसकी पत्नी ने भगवान को प्रणाम करते-करते उसी समय वहा प्राण त्याग कर दिव्य रूप धारण करके विमान पर जा बैठे और विमान उन्हें परमधाम वैकुंठ लोक को लेकर चला गया इसी प्रकार भीम कुम्हार और उसकी पत्नी को मुक्ति प्राप्त हुई बोलिए भगवान विष्णु की जय हो!
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आज की भीम कुम्हार की कथा बहुत ही निराली थी जिसको पढकर भगवान में प्रेम जगता है अगर आपको भी ऐसा ही अनुभव हुआ तो आप हमे कमेन्ट में आपका अनुभव बताये ताकि ये बात उन लोगो को भी पता चले जो ये कथा पढने आये है
और जिन लोगो ने कमेन्ट किया है उनका धन्यवाद और जो पढ़ रहे है आप भी अपना अनुभव बताये तो मिलते है इसी प्रकार की एक देशी भक्त की कथा में तब तक जय श्री कृष्णा!